धनबाद। सीएसआईआर-केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान धनबाद में चल रहे अखिल भारतीय विज्ञान महोत्सव ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यते’ कार्यक्रम तीसरे दिन अवसर पर तीन आमंत्रित वक्ताओं के व्याख्यान समेत कोविड-19 महामारी के भंयकर परिस्थितियों से निपटने एवं भारतीय अंतरिक्ष यात्रा में इसरो का महत्वपूर्ण योगदान पर आधारित दो वृत्तचित्र भी प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम में कोयला नगर डीपीएस और परसिया पुटकी स्थित डीएम पब्लिक स्कूल समेत विभिन्न स्कूलों से 140 छात्र छात्राओं व शिक्षकगण शामिल हुए।
कार्यक्रम के आमंत्रित वक्ताओं मे कुमार रंजीव विभागाध्यक्ष (पर्यावरण) बीसीसीएल, प्रोफेसर धीरज कुमार आईआईटी-आईएसएम धनबाद एवं डॉ जे के नायक वैज्ञानिक परिवर्ती ऊर्जा साइक्लोट्रॉन केन्द्र, परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार उपस्थित थे। आयोजन सचिव व मुख्य वैज्ञानिक डॉ जे के पाण्डेय द्वारा मंचासीन आमंत्रित वक्ताओं को पुस्तक के साथ स्वागत किया गया। ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यते’ कार्यक्रम के तीसरे दिन का विषय ‘आधुनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के मील के पत्थर’ था।विद्यालय के विज्ञान शिक्षक विनोद सिंह एवं शीतल कौर भी बच्चो के साथ सम्मालित हुए।
भारत आत्मनिर्भरता की ओऱ किस तरह अग्रसर हुआ वीडियो के जरिये दिखाया
कोविड-19 महामारी के भंयकर परिस्थितियों का सामना करने के लिए मास्क, डायग्नोस्टिक किट, वेंटिलेटर आदि की गंभीरता एवं अत्यावश्यकता को देखते हुए भारत आत्मनिर्भरता की ओर किस तरह अग्रसर हुआ। इन सबका उल्लेख वीडियो के माध्यम से दिखाया गया। साथ ही भारत की अंतरिक्ष यात्रा में इसरो के महत्वपूर्ण योगदान एवं उपलब्धियों पर आधारित एक वृत्तचित्र भी दिखाया गया।
झरिया क्षेत्र में आग और भू धंसान की समस्या मास्टर प्लान लागू : कुमार रंजीव
आमंत्रित वक्ता कुमार रंजीव, विभागाध्यक्ष (पर्यावरण ) बीसीसीएल ने धनबाद ने ‘आधुनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उपकरणों का प्रयोग करते हुए बीसीसीएल में सतत विकास के प्रयास’ विषय पर सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि खनन गतिविधियों के कारण झरिया के आस-पास स्थित विभिन्न क्षेत्रों में आग और भू धँसान संबंधी कई समस्याएं देखने को मिली है। इससे निपटने हेतु मकानों के पुनर्वास और जमीनों को उनकी मूल स्थिति में परिवर्तित करने के लिए विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वयन करते हुए एक मास्टर प्लान लागू किया गया।
खनन किए जा चुके क्षेत्रों की इकोलॉजिकल रेस्टोरेशन सीबीएम का उपयोग
बीसीसीएल द्वारा किए जा रहे सतत प्रयासों में खनन किए जा चुके क्षेत्रों की इकोलॉजिकल रेस्टोरेशन, सीबीएम (कोयला संस्तर मीथेन) का उपयोग, आग और भू धँसान से प्रभावित हुए लोगों का पुनर्वास, कार्यनीतिक खनन, सीएसआर संबंधी प्रयास, रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण आदि शामिल है। पर्यावरण मंजूरी के लिए क्लस्टर अवधारणा, उपग्रह आधारित सर्वेक्षण और ईआईए/ ईएमपी पर आधारित प्रबंधन, ओबी डंपों पर इको पार्क के निर्माण इको माइनिंग पर्यटन कार्यक्रम आदि की शुरुआत के साथ बीसीसीएल खनन क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी प्राप्त करने के पथ पर अग्रसर है।
शोध कार्य भारत को विश्व में प्रभुत्व हासिल करने में कर रहा मदद : प्रो धीरज
इस अवसर पर प्रोफेसर धीरज कुमार, आईआईटी-आईएसएम, धनबाद ने ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी में विकास और उनके अनुप्रयोग’ विषयक व्याख्यान देते हुए कहा कि विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों के अंतर्संबंधित नेटवर्क और उनके शोध कार्य भारत को विश्व में प्रभुत्व हासिल करने में मदद कर रहे हैं। सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि, जीवन विज्ञान, इंजीनियरिंग सेवाओं आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में त्वरित विकास के साथ भारत की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है।
डीएई, इसरो, डीआरडीएओ जैसे संगठनों की ढेरों उपलब्धियां : डॉ नायक
डॉ जेके नायक, वैज्ञानिक, परिवर्ती ऊर्जा साइक्लोट्रॉन केन्द्र, परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार ने बताया कि डीएई, इसरो, डीआरडीएओ आदि जैसे विभिन्न संगठनों की ढेरों उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हैं। पिछले कुछ वर्षों में, ये संगठन परमाणु ऊर्जा, ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा आदि क्षेत्रों में अथक परिश्रम कर रहे हैं। फ्यूज़न रिसर्च के लिए आईटीईआर परियोजना, परमाणु पनडुब्बी- आईएनएस अरिहंत आदि जैसे मील के पत्थर भारत की महत्वपूर्ण उपलब्धियों को दर्शाते हैं।