Omicron की भारत में दस्तक लेकिन इन देशों के आंकड़े देंगे राहत, डरें नहीं रहें सतर्क

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नई दिल्ली: ओमीक्रॉन वैरिएंट के भारत में अभी तक 2 केस सामने आए हैं। दोनों मामले कर्नाटक में मिले हैं। इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि नए वैरिएंट को लेकर डरने की जरूरत नहीं है। लोग सतर्क रहें और मास्क पहने। असल में सरकार के इस बयान के पीछे एक ठोस तर्क यह है कि अभी जिन भी देशों में ओमीक्रॉन वैरिएंट पाया गया है। वहां पर कोई भी मौत ओमीक्रॉन वैरिएंट की वजह से नहीं हुई है। और न ही ओमीक्रॉन से संक्रमित लोगों में गंभीर लक्षण मिले हैं।

ओमीक्रॉन वैरिएंट का अफ्रीका में 26 नवंबर को पता चला था। और वह  29 देशों (2 दिसंबर के आंकड़े) में पहुंच चुका है और 375 लोग अब तक इससे संक्रमित हुए हैं। लेकिन राहत की बात यह है कि अगर प्रमुख देशों के कोविड-19 संक्रमण दर और मृत्यु दर की तुलना पिछले एक हफ्ते की जाय तो तस्वीर बहुत भयावह नहीं नजर आती है।

ओमीक्रॉन से सबसे ज्यादा संक्रमण वाले देश

अभी तक (2 दिसंबर) ओमीक्रॉन के सबसे ज्यादा केस दक्षिण अफ्रीका में मिले हैं, वहां 183 मामले सामने आए हैं। इसके बाद घाना में 33, यू.के. में 32 ,बोत्सवाना में 19 ,नीदरलैंड में 16, जर्मनी में 10 केस मिले हैं। बाकी देशों में ओमीक्रॉन से संक्रमित लोगों की संख्या 10 से कम है। और अभी तक किसी भी देश में ओमीक्रॉन की वजह से मरीज की मौत नहीं हुए हैं। आगे जो भी मौत के आंकड़े दिए गए हैं, वह कोविड-19 के दूसरे वैरिएंट के कारण हुई मौतें हैं।

ओमीक्रॉन वैरिएंट पाए जाने वाले अफ्रीकी देशों का हाल

1. ओमीक्रॉन वैरिएंट दक्षिण अफ्रीकी देशों में सबसे पहले पाया गया, अगर इन देशों के पिछले एक हफ्ते के आंकड़े देखे जाएं तो दक्षिण अफ्रीका में पिछले एक हफ्ते में कोविड-19 मामलों में 388 फीसदी का उछाल आया है। लेकिन मौतों के मामले 33 फीसदी कम हुए हैं।

2.इसी तरह बोत्सवाना में कोविड-19 केस की संख्या में 15 फीसदी की कमी आई है। हालांकि वहां मौतों के मामलों में 300 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

3.वहीं नाइजीरिया में नए केसों की संख्या में 8 फीसदी की कमी आई है। और घाना में भी 100 फीसदी कमी आई है।

ओमीक्रॉन वैरिएंट पाए जाने वाले यूरोपीय देशों का हाल

1. अफ्रीकी देशों की तरह यूरोपीय देशों में कमोबेश वैसी ही स्थिति है। जैसे कि नीदरलैंड में पिछले एक हफ्ते में कोविड-19 के मामलों 3 फीसदी की कमी आई है। हालांकि इस दौरान मौत के मामले 24 फीसदी बढ़े हैं।

2. यूनाइटेड किंगडम में केस 3 फीसदी बढ़े हैं, लेकिन मौत के मामलों में 3 फीसदी की कमी आई है। जबकि यूरोप में ओमीक्रॉन के सबसे ज्यादा केस यू.के. में ही मिले हैं।  वहीं फ्रांस में 55 फीसदी मामले बढ़े हैं और मौत के मामले 37 फीसदी बढ़े हैं। लेकिन फ्रांस में अभी तक केवल एक केस ओमीक्रॉन का मामला है। ऐसे में मौतों का ओमीक्रॉन से कोई संबंध नहीं है।

3.नार्वे में 29 फीसदी केस बढ़े हैं लेकिन मौतों के मामले में 33 फीसदी की कमी आई है। इसी तरह पुर्तगाल में 19 फीसदी केस बढ़े हैं तो मौत के मामलों में 4 फीसदी की कमी आई है। इसी तरह जर्मनी में 3 फीसदी मामले बढ़े हैं।

4.इसी तरह स्विटजरलैंड में 11 फीसदी केस बढ़े हैं, जबकि मौत के मामलों में 21 फीसदी की गिरावट आई है। वहीं स्पेन में 45 फीसदी मामले बढ़े और मौत के मामले 50 फीसदी बढ़े हैं। हालांकि संख्या के लिहाज से देखा जाय तो 4 लोगों की मौत हुई है।

ओमीक्रॉन वैरिएंट पाए जाने वाले एशियाई देशों का हाल

1. हांगकांग में कोरोना के मामलों में 27 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। लेकिन एक भी मौत नहीं हुई है। यहां पर ओमीक्रॉन वैरिएंट के 7 केस पाए गए हैं।

2.इजरायल में 78 फीसदी केस बढ़े हैं, लेकिन मौत के मामलों में 33 फीसदी की कमी आई है। और यूएई में नए मामलों में 23 फीसदी की कमी आई है।

3. इसी तरह जापान में नए केस में 10 फीसदी की कमी आई है। जबकि मौत के मामलो में 38 फीसदी की कमी आई है।

–ऐसा ही हाल ब्राजील और कनाडा का है। ब्राजील में नए केस 4 फीसदी कम हुए हैं। जबकि कनाडा में 15 फीसदी केस बढ़े हैं और मौत के मामलों में एक फीसदी की कमी आई है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

साउथ अफ्रीकन मेडिकल एसोसिएशन चेयरपर्सन एंजेलीक्यू कोएटजी (Angelique Coetzee) ने एएनआई से कहा है कि ओमीक्रॉन के लक्षण में ज्यादातर शरीर में दर्द, सिर में दर्द और थकान के मामले सामने आए हैं। लेकिन किसी ने गंध या टेस्ट नहीं मिलने की शिकायत नहीं की है। और किसी को तेज बुखार की भी शिकायत नहीं है।

इसलिए हम कह रहे हैं कि प्राइमरी हेल्थकेयर लेवल पर ओमीक्रॉन, डेल्टा वैरिएंट जैसा घातक नहीं है। इसके अलावा अस्पतालों में बहुत ज्यादा एडमिशन नहीं हो रहे हैं। लेकिन तस्वीर हो सकता है बाद में बदल जाय।

वहीं इस मसले पर प्रसिद्ध वॉयरोलॉजिस्ट डॉ टी. जैकब जॉन ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बताया कि अभी तक जो आंकड़ों सामने आए हैं, उसमें मृत्यु सामने नहीं आई है। लेकिन यह अभी प्रारंभिक आंकड़े हैं। ऐसे में उसकी गंभीरता पर अभी कुछ कहना  जल्दबाजी होगी। लेकिन हमें यह भी समझना होगा कि  जब तक आप इस वैरिएंट के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं, तब तक बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। कोई भी लापरवाही  डेल्टा वैरिएंट की तरह भारी पड़ सकती है।

सतर्क रहने की कई वजहे हैं। सबसे पहली बात यह है कि स्पाइक प्रोटीन में 30 से ज्यादा म्यूटेशन मिले हैं। इसके अलावा हागकांग में इसके हवा से फैलने के भी संकेत मिले हैं। तीसरी बात यह है कि जिन लोगों को वैक्सीन लगी है। उन्हें भी वायरस संक्रमित कर रहा है। ज्यादा म्यूटेशन की वजह से यूरोप के कई देशों में वैक्सीन के लगवाने के बाद भी लोगों को संक्रमण मिला है। इसलिए भी डरने नहीं सतर्क रहने  की जरूरत है।

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