2008 में मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर उत्तरी महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास हुए धमाके के मामले में नया मोड़ आ गया है। एक गवाह ने कोर्ट में आरोप लगाया है कि एंटी टेरेरिस्ट स्कवायड (ATS) ने उसे प्रताड़ित कर जबरन योगी आदित्यनाथ का नाम लेने को कहा था। उसका कहना है कि एजेंसी की टेढ़ी नजर संघ के कुछ नेताओं पर भी थी। उनका नाम लेने के लिए भी उस पर जोर डाला गया था।
ध्यान रहे कि सितंबर 2008 में मालेगांव में एक मस्जिद के पास हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी। वारदात में तकरीबन सौ लोग जख्मी भी हुए थे। जांच में पता चला था कि मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल में रखे विस्फोटक से धमाका किया गया था। मामले में शुरुआती जांच एटीएस ने की थी। लेकिन तीन साल बाद 2011 में इस केस को एनआईए को सौंप दिया गया। अब एनआईए की स्पेशल कोर्ट मामले की सुनवाई कर रही है। इस में भोपाल से भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर भी आरोपी हैं। मामले के अन्य आरोपियों में लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, सुधाकर द्विवेदी और समीर कुलकर्णी के नाम भी शामिल किए गए थे। मामले में अब तक 220 लोगों की गवाही हुई है। 15 गवाह मुकर चुके हैं।
फिलहाल एक और गवाह ने अपने पिछले बयान से मुकरते हुए आरोप लगाया कि एटीएस ने उसे सात दिन गलत तरीके से अपनी गिरफ्त में रखा। उसे इस दौरान प्रताडित किया गया। उसके परिवार को भी फंसाने की धमकी दी गई। गवाह ने बताया कि एटीएस ने उसे गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ के अलावा आरएसएस के इंद्रेश कुमार, देवधर और काकाजी का नाम लेने के लिए मजबूर किया था। मंगलवार को मुंबई की विशेष एनआईए अदालत में गवाह ने ये बात कही।
ब्लास्ट मामले के आरोपी कर्नल पुरोहित के खिलाफ बयान देने वाला गवाह भी मुकर चुका है। उसकी गवाही इसी साल अगस्त महीने में हुई थी। फिलहाल ज्यादातर आरोपी जमानत पर हैं। साध्वी प्रज्ञा तो जेल से निकलने के बाद भोपाल से चुनाव लड़कर सांसद भी बन चुकी हैं। पुरोहित भी फिलहाल बाहर हैं। खास बात है कि गवाह का आरोप ऐसे समय पर आया है जब यूपी में चुनाव होने हैं और विपक्षी दल लगातार आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा यूपी चुनाव को हिंदू-मुस्लिम करके फायदा उठाना चाहती है।