अंडा एक फूड के अलावा बहस का विषय भी रहा है. बहस यह होती है कि आखिर अंडा शाकाहार है या फिर मांसाहार. चलिए यह समझ लेते हैं कि आखिर अंडा शाकाहार है या मांसाहार. विज्ञान में शाकाहारी भोजन की अपनी एक परिभाषा है. कहा जाता है कि जिस खानपान में जानवर के मांस का हिस्सा न हो उसे शाकाहार कहते हैं. इस नजरिए से देखों तो अंडा शाकाहार हुआ. ऐसे लोग अपने खानपान में शामिल करते हैं उन्हें ओवो-वेजिटेरियन कहा जाता है. आइए, समझते हैं अंडे का फंडा…
विज्ञान से इतर ज्यादातर भारतीय मानते हैं कि अंडा मांसाहार है. इसलिए वो इसे खाने से बचते हैं. विज्ञान के नजरिए से समझें तो अंडा दो तरह का होता है- फर्टिलाइज्ड और अनफर्टिलाइज्ड एग. ज्यादातर लोग समझते हैं कि वो जो अंडा खरीदकर लाते हैं उसी से ही चूजा निकलता है. लेकिन जिस अंडे का इस्तेमाल खाने के लिए किया जाता है और जिस अंडे से चूजा निकलता है दोनों में फर्क होता है.
जब मुर्गा और मुर्गी की मेटिंग के बाद मुर्गी अंडा देती है तो उसे फर्टिलाइज्ड एग कहते हैं. वहीं, अगर मुर्गी बिना मेटिंग के सामान्य अंडा दे रही है तो उसे अनफर्टिलाइज्ड अंडा कहते हैं. वैज्ञानिकों की रिसर्च कहती है, अंडे में चूजे के विकसित होने के लिए मुर्गी और मुर्गे की मेटिंग जरूरी है. इसलिए अंडों के कारोबार से जुड़े फार्म मुर्गों को मुर्गियों से दूर रखते हैं ताकि मुर्गी के अंडों में चूजा विकसित न कर सके. इसलिए फार्म से आने वाले अंडों को शाकाहारी माना जा सकता है.
कई लोगों को अंडों में ब्लड की कुछ बूंदें नजर आती हैं. विज्ञान की भाषा में इसे मीट स्पॉट कहते हैं. इसका यह मतलब कतई नहीं है कि वो अंडा फर्टिलाइज्ड है. विज्ञान कहता है, मुर्गी के शरीर में अंडे का निर्माण होते समय रक्तकणिकाएं डैमेज हो जाती हैं और उसका असर अंडे में ब्लड की कुछ बूंदों के रूप में दिखता है;
अंडा भले ही मुर्गी के जरिए आप तक पहुंच रहा है, इसका मतलब यह कतई नहीं है कि उसे मारकर अंडा आप तक पहुंचाया गया है. इसलिए विज्ञान के नजरिए से देखें तो जानवरों से मिलने वाली हर चीज नॉन-वेजिटेरियन नहीं होती. इसका एक और बेहतर उदाहरण है- दूध