राष्ट्रकवि दिनकर की 113वीं जयंती समारोह, धनबाद में प्रतिमा स्थापित किये जाने की उठी मांग

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धनबाद। ओम दिनकर सेवा ट्रस्ट द्वारा आयोजित राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 113वीं जयंती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के तौर पर झारखण्ड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने शिरकत की। समारोह की शुरुआत मां सरस्वती की आराधना और अतिथि स्वागत गीत से हुआ।

बाबूलाल मरांडी ने राष्ट्रकवि दिनकर को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए अपने सम्बोधन में कहा आज अधिकांश देखा गया है कि महापुरुषों के जयंती पर चौक – चौराहे पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया जाता है जिसके कारण उनके बारे में जानने समझने का मौका नहीं मिलता। ऐसे अवसर पर विद्यालय महाविद्यालय सभी शिक्षण संस्थानों में छुट्टी के बजाय उनसे जुड़े समारोह आयोजित किया जाना चाहिए। जिससे बच्चों को महापुरुषों के बारे में जानने समझने का मौका मिले।

उन्होंने आगे कहा महापुरुषों का जीवन संघर्षो में ही गुजरा। कवि दिनकर ने भी कई संकट झेले। राम- कृष्ण का जीवन भी संघर्ष में बीता। कृष्ण को भी गोपियों को छोड़ना पड़ा। राम काे भी वनवास जाना पड़ा। विवेकानंद जीवन भर विश्व भ्रमण करते रहे। यह भी सत्य है कि बिना तपाए साेना भी नहीं चमकता।

जेब में दुनिया की लाइब्रेरी

उन्होंने कहा आज कुछ भी छिपा नहीं है सभी चीजें उपलब्ध है। लोगों की जेब में दुनिया भर की लाइब्रेरी है जरूरत है गूगल पर जाकर इतिहास को समझने की। दिनकर जी जैसे राष्ट्र कवि को समझने की जरूरत है जिन्होंने गुलामी को जंजीरों को तोड़ने के लिए युवाओं में अपनी कविता के माध्यम से जोश भरा।

दिनकर जी को नौकरी मिलता तो वे राष्ट्र कवि नहीं बनते

उन्होंने सभी से आव्हान किया कि अगर हम आने वाले पीढ़ियों को तैयार नहीं करेंगे तो कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे। उन्होंने शिक्षाविद रवि चौधरी की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने कई लोगों को रोजगार दिया उन्हें कामयाब बनाया। उन्होंने सभी लोगों से कहा कि राष्ट्रकवि के कविता को सिर्फ पढ़े नहीं बल्कि उसे जीवन में उतारे। दूसरे लोगों की पीड़ा को कैसे कम किया जाए उसके बारे में सोचें।

बाबूलाल मरांडी के कार्यकाल में कई प्रशंसनीय कार्य हुए

ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने अपने वक्तव्य में झारखण्ड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के कार्यकाल में हुए कार्यो की प्रशंसा करते हुए कहा कभी ऐसा भी समय था जब सड़क पर गड्ढा या गड्ढे में सड़क का पता नही चल पाता था। इनके कार्यकाल में राज्य की सड़कों की हालत सुधरी। वास्तव में बाबूलाल जननेता है।

राष्ट्रकवि दिनकर की कविताएं आज भी प्रासंगिक है

ट्रस्ट के संरक्षक रवि चौधरी ने कहा की दिनकर जी ने जिस प्रकार से देश को गुलामी की जंजीरों में जकड़े देखा उन्होंने जो अपनी कविताओं में हुंकार और ललकार भरी , बच्चों को प्रेरित किया और उनकी जो प्रेरणा है वह बर्बस हमे खींच लाती है। देश की आजादी की लड़ाई से लेकर आजादी मिलने तक के सफर को दिनकर ने अपनी कविताओं द्वारा व्यक्त किया। जब – जब हिंदी साहित्य की बात होगी, वीर रस की कविता , गाथाओं की बात चलेगी दिनकर जी का नाम आएगा। आज के युवाओं को उनके व्यक्तित्व उनके जीवनी से प्रेरणा लेनी चाहिए।

इस अवसर पर सत्येंद्र कुमार, अध्यक्ष प्रमोद कुमार, महासचिव अधिवक्ता जितेंद्र सिंह कोयलांचल के प्रसिद्ध शिक्षाविद के के शर्मा, कांग्रेस महानगर अध्यक्ष वैभव सिन्हा ने भी अपने विचार रखें। मंच का संचालन बबलु तिवारी ने किया।

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