पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जितेंद्र सिंह के खिलाफ अरेस्ट वारंट, जानें मामला

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नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता  भंवर जितेंद्र सिंह के खिलाफ राजस्थान के बूंदी में अरेस्ट वारंट जारी किया गया है।  बूंदी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जितेंद्र सिंह को फर्जी डीड के आधार पर ट्रस्ट बनाने के मामले में दो और लोगों के साथ दोषी माना हैं।कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सहित तीन लोगों को गिरफ्तारी वारंट जारी कर तलब  किया। वारंट 18 नवंबर को जारी किया गया था। मामले में कोर्ट ने बूंदी के पूर्व जिला प्रमुख श्रीनाथ सिंह हाड़ा और भंवर जितेंद्र सिंह के ससुर बृजेंद्र सिंह को भी दोषी माना हैं। कोर्ट ने इन्हें 6 जनवरी 2022 को पेश होने के आदेश दिए।

क्या है पूरा मामला

बूंदी रियासत के पूर्व नरेश स्वर्गीय रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद उनके भतीजे और पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र ने एक ट्रस्ट डीड सामने लाई थी। जिसमें रणजीत सिंह ने अपनी संपत्ति की ट्रस्टी डीड बनाकर उसे आशापुरा माता मंदिर को समर्पित कर दिया था। और वसीयत के अनुसार आशापुरा माता मंदिर का इंचार्ज भंवर जितेंद्र को बनाया गया था। इस आधार पर रंजीत सिंह की सारी संपत्ति आशापुरा ट्रस्ट को हस्थानांतरित कर दी गई।

2017 में दर्ज हुआ था केस

दिसंबर 2017 में, बूंदी शहर की पुलिस ने भंवर जितेंद्र और दो अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (फर्जी दस्तावेज का उपयोग वास्तविक के रूप में) और 120 (बी) के तहत मामला दर्ज किया था। पुलिस ने यह कार्रवाई अविनाश कुमार चंदना द्वारा दर्ज की गई शिकायत के आधार पर की थी। जो पूर्व शाही परिवार के अंतिम राजा बहादुर सिंह के बेटे रंजीत सिंह के दोस्त होने का दावा करते हैं।

चंदना ने क्या लगाया आरोप

जितेंद्र सिंह रणजीत सिंह के भतीजे है। चंदना ने आरोप लगाया है कि पूर्व मंत्री ने दो अन्य लोगों के साथ मिलकर रंजीत की संपत्ति पर कब्जा करने की साजिश रची थी, जिनकी कोई संतान नहीं थी। इसी के तहत मई 2008 में एक ट्रस्ट डीड पर किए गए उनके हस्ताक्षर जाली थे।

चंदना ने दावा किया कि रंजीत उनके दोस्त थे और वह 2010 में अपनी आखिरी सांस तक दिल्ली के अपने घर में उनके साथ रहे थे। और शाही परिवार के वंशज ने 2009 में सारी संपत्ति उन्हें हस्तांतरित कर दी थी। चंदना ने आरोप लगाया कि जितेंद्र ने कुल देवी आशापुरा माताजी ट्रस्ट की स्थापना की और ट्रस्ट के माध्यम से धोखे से रंजीत सिंह की सारी संपत्ति अपने नाम कर ली।

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