बिहार में जाति आधारित जनगणना सात फरवरी से शुरू होगा। यह जनगणना दो फेज में होगी। पहले फेज की शुरुआत सात फरवरी से होगी। यह प्रक्रिया अप्रैल-मई तक चलेगी।
नीतीश-तेजस्वी की महत्वाकांक्षी परियोजना
जातीय जनगणना करना सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की महत्वाकांक्षी परियोजना है। जब तेजस्वी विपक्ष में थे, तब भी नीतीश कुमार इस मुद्दे पर उनके साथ थे, इसके लिए पीएम मोदी तक से मुलाकात की गई थी। केंद्र सरकार ने जब इसे कराने से इनकार किया तो नीतीश सरकार ने ऐलान किया था कि बिहार में वो जातीय जनगणना कराएगी।
दो चरणों में परियोजना
बिहार सरकार 7 जनवरी से अपनी महत्वाकांक्षी जाति जनगणना परियोजना शुरू करेगी और इसे मई के अंत तक पूरा कर लेगी। जनगणना दो चरणों में की जाएगी – पहला चरण 21 जनवरी तक चलेगा। लगभग 350,000 सरकारी कर्मचारियों को इसके लिए जिला स्तर पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रत्येक जिले के लिए जिलाधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया गया है।
यहां से शुरुआत
पहले चरण की शुरुआत पटना के उस वीआईपी इलाके से होगा, जहां विधायक, मंत्री और अधिकारियों का आवास है। यहां प्रक्रिया पूरी होने के बाद आगे के इलाकों को कवर किया जाएगा।
ऐसी पूरी होगी प्रक्रिया
पहले चरण में राज्य में प्रत्येक घर के लिए एक मकान संख्या दिया जाएगा और परिवारों की संख्या की पहचान की जाएगी। स्कूल के शिक्षक, नगर निगम और ब्लॉक स्तर के सरकारी कर्मचारी इसमें शामिल होंगे। प्रत्येक वार्ड को दो ब्लॉकों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक क्षेत्र में औसतन 150 से 160 घरों को चिन्हित किया जाएगा, जिसमें 600 से 700 परिवार शामिल होंगे।
500 करोड़ का फंड
राज्य मंत्रिमंडल ने जून में जनगणना को मंजूरी दी थी और कार्य को पूरा करने के लिए 500 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। सरकार ने पहले जनगणना पूरी करने के लिए फरवरी 2023 तक का समय दिया था, लेकिन बाद में इसे संशोधित कर मई कर दिया। जातिगत जनगणना कई राज्यों की लंबे समय से लंबित मांग रही है।