बॉर्नविटा को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का नोटिस, कंपनी को भ्रामक विज्ञापन हटाने का निर्देश

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घर-घर में हेल्थ पाउडर ड्रिंक के लिए मशहूर बॉर्नविटा (Bournvita) पर जारी विवाद को देखते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ( NCPCR) एक्शन में आ गया है। उसने इस संबंध में कंपनी मोंडेलेज को नोटिस जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि आयोग को बॉर्नविटा में शक्कर की मात्रा मिलाने को लेकर शिकायत मिली है। जिसमें यह कहा गया है कि बॉर्नविटा में शक्कर के अलावा जो मिक्सचर फॉर्मूला यूज किया जा रहा है वह बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है। ऐसे में बाल आयोग ने कंपनी को सभी भ्रमित करने वाले विज्ञापन और पैकेजिंग मैटेरियल पर किए गए दावे तुरंत हटाने के लिए कहा है। साथ ही इस संबंध में कंपनी से सात दिनों के भीतर अपना पक्ष रखने के लिए जवाब मांगा है।

शक्कर को लेकर क्या है विवाद

असल में कुछ समय पहले सोशल मीडिया एंफ्लुएंसर और न्यू्ट्रिनिस्ट रेवंत हिमतसिंग्का पर अपने वीडियो में बॉर्निवीटा में ज्यादा शक्कर का इस्तेमाल करने की बात कही थी। उनका दावा किया था कि बॉर्नविटा (Bournvita) में शुगर, कोको सॉलिड्स और कैंसर पैदा करने वाले कलरेंट हैं। जिसके बाद सोशल मीडिया पर नेटीजन ने उनके वीडियो को शेयर करते हुए बॉर्नविटा सवाल उठाए थे। हिमतसिंग्का के वीडियों अभिनेता परेश रावल से लेकर राजनीतिज्ञ कीर्ति आजाद ने भी शेयर किया।

मामला तूल पकड़ने पर कंपनी मोंडेलेज के तरफ से सफाई आई । उसके अनुसार बॉर्नविटा (Bournvita) को पूरी तरह साइंटफिक और देश में फूड को लेकर बने कानून के हिसाब से बनाया गया है जो टेस्टी के साथ हेल्दी भी होता है। मोंडेलेज इंडिया कहा कि उसके बोर्नबीटा में प्रत्येक 20 ग्राम की मात्रा में 7.5 ग्राम चीनी होती है, जो लगभग डेढ़ चम्मच होती है। यह बच्चों के लिए चीनी की रोजाना खाने की सीमा से बहुत कम है और देश के नियामक दिशानिर्देशों के अनुसार है।

भारत में 74 साल पुराना ब्रांड

दुनिया में पहली बार साल 1920 में बॉर्नविटा को हेल्थ ड्रिंक के रुप में पेश किया था। और वहां से शुरू हुआ सफर साल 1948 में भारत में पहुंचा। भारत में कैडबरी ने 1948 में एंट्री की और उसके साथ ही बॉर्नविटा ब्रांड भारत पहुंचा। बॉर्नविटा की पहचान का कनेक्शन एक गांव से जुड़ा हुआ है। असल में बर्मिंघम के पास Bournville lane में फैक्ट्री खोली गई। और यह गांव ही बॉर्नविटा की पहचान गया। और बॉर्नविटा का नाम इसी गांव के नाम पर रखा गया।राष्ट्रीय बाल आयोग ने बॉर्नवीटा की शिकायत FSSAI और उपभोक्ता मामलों के संबंधित अधिकारी को भी भेजी है।

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