डीजीएमएस ने मनाया 123वां स्थापना दिवस
धनबाद.खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) ने रविवार को अपना 123वां स्थापना दिवस मनाया। समारोह के मुख्य अतिथि कोल इंडिया के चेयरमैन पीएम प्रसाद ने कहा कि डीजीएमएस एक महान संस्थान है। करीब 1774 से कोल माइनिंग भारत में हो रहा है। ऐसे में पहले कई दुर्घटनाए हुई। जिसको रोकने के लिए 1902 में डीजीएमएस की स्थापना की गई थी.जिसके बाद से दुर्घटनाओं में काफी कमियां भी आई है। विकसित राष्ट्रों के तुलना में अब कोल इंडिया कोयले का उत्पादन ज्यादा और सुरक्षित ढंग से कर रहा है। उन्होंने कहा कि वैसे केंद्र सरकार और डीजीएमएस का लक्ष्य जीरो एक्सीडेंट है, जो फिलहाल हम उस लक्ष्य को पूरा तो नही कर पा रहे, लेकिन पहले की अपेक्षा अब कोल इंडिया के सभी अंगों में दुर्घटनाए काफी हद तक कम हो गई है।
5 गीगावॉट तक सौरऊर्जा का उत्पादन का लक्ष्य
उन्होंने बताया कि सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए भी कोल इंडिया प्रतिबद्ध है। आने वाले अगले तीन वर्षो में तीन गीगावॉट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। फिलहाल अभी कोल इंडिया 1.30 गीगावॉट सौरऊर्जा का उत्पादन कर रहा है। कुल मिलाकर आने वाले समय में कोल इंडिया 5 गीगावॉट तक सौरऊर्जा का उत्पादन करने लगेगा। इसके आलवा 22 सौ हेक्टेयर भूमि पर पौधा रोपण का कार्य भी किया गया है। इसके साथ ही एयरकंडीशनर, एलईडी लाइट वगैरह पर भी कार्य किया जा रहा है, ताकि कार्बन उत्सर्जन को कम कर पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग से बचाया जा सके।
स्कूलों में डिजिटल शिक्षा की शुरुआत
उन्होंने बताया कि कोल इंडिया विकसित भारत योजना के तहत डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने को लेकर भी कार्य कर रहा है. फिलहाल अभी सभी जगह सरकारी स्कूलों के 12वीं के बच्चों को इससे जोड़ा जा रहा है। कुछ समय बाद आठवीं कक्षा तक के बच्चों को भी डिजिटल शिक्षा दी जाएगी।
विस्थापितों को रोजगार मुहैया कराने
के लिए स्किल डेवलपमेंट सेंटर की शुरुआत
उन्होंने कहा कि कोयला क्षेत्रों से विस्थापित होने वाले लोगों के विकास के लिए भी कोल इंडिया कार्य कर रहा है। कोल इंडिया राष्ट्रीय स्किल डेवलपमेंट संस्थान से जुड़ चुका है। अब कोल इंडिया अपने तमाम इकाइयों में स्किल डेवलपमेंट सेंटर खोल कर विस्थापितों को ट्रेनिंग देकर उन्हें रोजगार मुहैया कराने का कार्य करेगी।
खनन क्षेत्र में दुर्घटनाओं का दर 10वें स्थान से भी नीचे पहुंचा
डीजीएमएस के महानिदेशक प्रभात कुमार ने बताया कि खान सुरक्षा महानिदेशालय के प्रयासों का ही फल है कि खनन के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं का दर अब 10वें स्थान से भी नीचे है। डीजीएमएस हर साल न सिर्फ हजारों मजदूरों की जान बचाती है, बल्कि लाखों टन मिनिरल्स का भी संरक्षण करती है।
डीजीएमएस के काम का दायरा बढ़ा
उन्होंने कहा आज देश में खनिज की मांग काफी बढ़ गई है। जिस वजह से प्रोडक्शन भी कई गुणा बढ़ गया है। ऐसे में डीजीएमएस का काम भी काफी बढ़ा है, ताकि प्रोडक्शन तो बढ़े, लेकिन सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए। यही कारण है कि खदानों में होने वाली दुर्घटनाओं में काफी कमियां आई है।
डीसी रेल लाइन पर खतरा बरकरार
डीजीएमएस के महानिदेशक प्रभात कुमार ने पत्रकारों के सवालों के जवाब में धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन पर मंडराते खतरे को एक बार फिर से दोहराया। उन्होंने कहा कि डीसी रेल लाइन पर खतरा है,लेकिन रेलवे, बीसीसीएल,आईआईटी आइएसएम और सिम्फ़र जैसी संस्थाएं लगातार इसपर अपनी नजर रखे हुए है और इसकी रिपोर्ट भी लगातार डीजीएमएस को भेजी जा रही है,ताकि समय रहते खतरे को देखते हुए सुरक्षात्मक कदम उठाया जा सके। उन्होंने कहा कि इस दिशा में बीसीसीएल को भी साफ निर्देश दिए गए हैं कि रेल लाइनों की तरफ कोयला उत्खनन का कार्य नही करेगी।
खान सुरक्षा महानिदेशालय के ऑडिटोरियम में आयोजित स्थापना दिवस के कार्यक्रम में उज्जवल ता, खान सुरक्षा उप महानिदेशक (मु 0)डी०बी०्नायक , खान सुरक्षा उप महानिदेशक (यांत्रिक), अजय सिह, खान सुरक्षा उप महानिदेशक(विद्युत), एवं जेपी० आर्या, उप महानिदेशक (सांख्यिकी) के अलावे डीजीएमएस के अन्य निदेशक एवं अधिकारीगण उपस्थित थे.