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झारखंड में बाल विवाह रोकने के लिए कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन ने ‘बाल विवाह’ रोकने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं का किया सम्मेलन
रांची – खनिज संपदा से भरपूर होने के बावजूद झारखंड राज्य की गिनती देश के पिछड़ों राज्यों में होती है. राज्य एक लंबे समय से बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति के दंश से पीडि़त है. भारत सरकार की साल 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 3,58,064 लोगों का बाल विवाह हुआ है, जो कि पूरे देश के बाल विवाह का तीन प्रतिशत है. बाल विवाह के मामले में देशभर में झारखंड का 11वां स्थान है। यह आंकड़ा राज्य के लिए गंभीर चिंता का विषय है.
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन(केएससीएफ) द्वारा यहां आयोजित ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान में जुटी स्वयंसेवी संस्थाओं ने झारखंड की इस स्थिति पर चिंता जाहिर की और सरकार से अपील की कि बाल विवाह रोकने के लिए कानून का सख्ती से पालन करवाया जाए ताकि अपराधियों के मन में खौफ पैदा हो और बाल विवाह की सामाजिक बुराई को खत्म किया जा सके। इस संबंध में केएससीएफ ने रांची के प्रेस क्लब में एक सम्मेलन आयोजित किया। इसमें बाल विवाह को जड़ से मिटाने को लेकर गहन विचार-विमर्श हुआ.
सम्मेलन में बाल विवाह रोकने के लिए कानूनी पहलुओं पर चर्चा की गई. इसमें प्रमुख रूप से बाल विवाह के मामले में अनिवार्य एफआईआर दर्ज करने, बाल विवाह को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट और पॉक्सो एक्ट से जोड़ने पर विमर्श हुआ. इसका मकसद कानून तोड़ने वालों को सख्त से सख्त सजा दिलाना है. साथ ही देश के हर जिले में बाल विवाह रोकने वाले अधिकारी(सीएमपीओ) की नियुक्ति की मांग भी उठाई गई. इन अधिकारियों को बाल विवाह रोकने के लिए उचित प्रशिक्षण देने और उन्हें अभिभावकों को इसके खिलाफ प्रोत्साहन देने की भी बात कही गई.
सम्मेलन में झारखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सचिव राजेश्वरी बी. एनआईए के एसपी प्रशांत आनंद, टिकैत टोला बाल पंचायत की पूर्व सरपंच राधा पांडे, झारखंड बाल अधिकार सुरक्षा आयोग की सचिव अर्चना मेहता, झारखंड बालश्रम आयोग की पूर्व अध्यक्ष सांति किंडो और कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के वरिष्ठ निदेशक ओमप्रकाश पाल समेत कई गणमान्य हस्तियां मौजूद रहीं.
सम्मलेन में एनआईए के एसपी प्रशांत आनंद ने कहा, ‘अगर आप बाल विवाह को रोकना चाहते हैं तो आपको शिक्षा का स्तर बढ़ाना होगा. साथ ही लोगों की सामाजिक सुरक्षा को भी बढ़ावा देना होगा.
बालश्रम आयोग की पूर्व अध्यक्ष सांति किंडो ने कहा, ‘लोगों में और अभिभावकों में बच्चों के कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ानी होगी. कई अभिभावक लड़कियों के प्रेम प्रसंग की संभावना से डरकर भी बाल विवाह को प्राथमिकता देते हैं. इसे भी रोकना होगा। साथ ही स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम चलाने होंगे.
बाल विवाह से बच्चों की बर्बाद होती जिंदगी पर चिंता व्यक्त करते हुए कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन(केएससीएफ) के कार्यकारी निदेशक ओमप्रकाश पाल ने कहा, ‘बाल विवाह सामाजिक बुराई है और इसे बच्चों के प्रति सबसे गंभीर अपराध के रूप में ही लिया जाना चाहिए. बाल विवाह बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास को खत्म कर देता है. इस सामाजिक बुराई को रोकने के लिए हम सभी को एकजुट होकर प्रयास करना होगा. उन्होंने कहा, ‘उनका संगठन कैलाश सत्यार्थी के नेतृत्व में सरकार, सुरक्षा एजेंसियों एवं नागरिक संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि प्रदेश को बाल विवाह मुक्त किया जा सके.
Reporter – (अखिलेश कुमार)