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रांची – रातू / दुर्गा पूजा की चर्चा होते ही हमारे मस्तिष्क में कोलकाता का दृश्य उभर आता है. भव्य पंडाल, बड़ी-बड़ी मां की प्रतिमाएं और चकाचौंध कर देने वाली साज-सजावट। पहले बड़ी संख्या में लोग शारदीय नवरात्र में कोलकाता घूमने जाते थे. कुछ ऐसा ही नजारा अब रांची में दिखता है.जहा शहर में करीब एक सौ से ज्यादा पंडाल बनते हैं जिसमें एक दर्जन बड़ा पंडाल बनता है. यहां की भव्यता भी कोलकाता से कम नहीं होता। दूर-दूर से लोग रांची में दुर्गा पूजा देखने को आते हैं. शारदीय नवरात्र में पूजा-उपासना के साथ-साथ मां को प्रसन्न करने के लिए बलि की भी काफी पुरानी मान्यता को भी पूरी करते है. बलि प्रथा लोगों की आस्था से जुड़ी हुई है. अधिकतर जगहों पर जहां बकरे की बलि देकर मां को प्रसन्न किया जाता है.
वहीं, रातू स्थित राजा रातू महल में भैंसे की बलि देने की प्रथा भी है. यह प्रथा सदियों से चली आ रही है. इस प्रथा की शुरुआत नागवंश के पहले राजा फणी मुकुट राय ने की थी. आज भी यह परंपरा कायम है. नवरात्र ही वह मौका होता है जब राज दरबार आमलोगों के लिए खोला जाता है. नवरात्र में बड़ी संख्या में श्रद्धालु रातू किला की पूजा देखने आते हैं. माता के दर्शन के साथ राज महल की खूबसूरती का भी आनंद लेते हैं.
मां दुर्गा की सोने की मुकुट और चांदी के दो शेर भड़ते है शोभा
राजमहल में स्थापित मां दुर्गा का मुकुट सोने का है और चांदी के दो शेर उनकी शोभा को और भी निखार देते है. राज दरबार के प्रबंधक दामोदर नाथ मिश्र के अनुसार षष्ठी से दशमी तक रातू राज महल का दरवाजा आम लोगों के लिए मां का दर्शन हेतु खोला जाता है. दशमी के दिन ही मूर्ति का विसर्जन कर दिया जाता है.
महिषासुर के रूप में भैंसा की दी जाती है बलि
किला प्रबंधक दामोदर मिश्रा ने बताया कि महिषासुर एक असुर व भैंसा का रूप है, मां दुर्गा शक्ति की प्रतीक है, उन्होंने अपने भक्तों की रक्षा के लिए अवतरित होकर महिषासुर का वध किया था. बलि प्रथा लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है. नवरात्र के महानवमी के दिन रातू किला में भैंसे की बलि दी जाती है.
पूरा राजदरबार आयोजन की तैयारियों में जूटा हुआ है
राजकुमारी मावधी मंजरी देवी का कहना है कि रातू किला में नवरात्र पूरे विधि-विधान से होता है. उत्सव के साथ-साथ नियम निष्ठा पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है. दो साल कोरोना संक्रमण के कारण पूजा सादगी से हुई थी. इस बार राज्य सरकार के गाइडलाइन के अनुसार पूजा भव्य रूप से मनाया जाएगा. पंचमी से दशमी तक रातू किला में मेला जैसा नजारा देकने को मिले ग.आयोजन की तैयारी में पूरा राजदरबार जुटा हुआ है.