धनबाद। झारखण्ड पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने कहा पेट्रोल – डीजल को राजनीति से अलग रखा जाना चाहिए। भाजपा सरकार की चुनावी गणित जब – जब गड़बड़ाई इन्होंने केंद्रीय कर एवं वैट में कमी कर ली और फिर चुनाव के बाद टैक्स बढ़ा दिये।
एनडीए सरकार में 35 रु पहुँच गया एक्साइज ड्यूटी
उन्होंने कहा यूपीए सरकार में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 9 .60 रु और डीजल पर 3.60 रु थे। एनडीए सरकार में पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी धीरे – धीरे 35 रु तक पहुँच गई। बढ़ोत्तरी में एक बड़ा अंतर सामने आया। 2018 में केंद्र सरकार ने पेट्रोल – डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में ढाई रु की कटौती की और सभी राज्य सरकारों से भी अपने अपने वैट में कटौती करने की अपील की गई। राज्य सरकारों ने भी वैट घटाए जिसमे झारखण्ड भी शामिल रहा।
झारखण्ड में पेट्रोल डीजल पड़ोसी राज्यों की तुलना में अधिक महंगा
आज फिर से जब चुनावी समीकरण गड़बड़ाया है तो केंद्र सरकार के द्वारा पेट्रोल – डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 5 रु और 10 रु की कटौती कर ली गई और राज्यों से वैट में कटौती की अपील के बाद कई राज्यों ने वैट में कटौती की है। झारखण्ड के पड़ोसी राज्यों बिहार , यूपी , बंगाल और उड़ीसा ने भी वैट में कमी की है। बिहार जहाँ डीजल पर 19 प्रतिशत वैट था कटौती के बाद 16.37 प्रतिशत है। उड़ीसा में डीजल पर 28 प्रतिशत वैट था। 4 प्रतिशत की कटौती की है।
इस दर से उड़ीसा में 3 रु प्रति लीटर और बिहार में 2 रु प्रति लीटर अतिरिक्त डीजल – पेट्रोल के दाम कम हुए है। यूपी सरकार ने पेट्रोल के वैट पर भारी कटौती की है। केंद्र सरकार के द्वारा 5 रु कटौती के बाद यूपी सरकार ने 7 रु की अतिरिक्त कटौती की है जबकि डीजल पर 99 पैसे की ही कटौती हुई है। इन पड़ोसी राज्यों के द्वारा वैट में कटौती के बाद झारखण्ड में पेट्रोल – डीजल उपरोक्त राज्यों की तुलना में पहले की अपेक्षा और महंगा हो गया है।
पिछले वर्ष की तुलना में डीजल की बिक्री में 20 प्रतिशत की हुई कमी
झारखण्ड में जोकि 2015 तक तेल की बिक्री 1 लाख 45 हजार किलो0 लीटर थी वह धीरे – धीरे घटकर 1 लाख 5 हजार पर पहुँच गई है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष पूरे झारखण्ड में डीजल की बिक्री में 20 प्रतिशत की गिरावट आई है।
वैट में कटौती से सरकार को फायदा
उन्होंने बताया झारखण्ड में वैट की कटौती 5 प्रतिशत होती है तो सरकार को इससे नुकसान नही बल्कि सालाना 6 सौ करोड़ से ऊपर राजस्व प्राप्ति होगी महीने का करीब 50 करोड़ राजस्व मिलेगा। 5 प्रतिशत की कटौती से सरकार को डीजल पर 3.61 रु का नुकसान होगा।
मसलन 3.61रु के दर से 1 लाख 5 हजार किलो0 लीटर पर महीने का नुकसान 38 करोड़ होगा। 5 प्रतिशत की कटौती करने से जो बड़े ग्राहक है जो दूसरे प्रदेशों से डीजल मंगाते है वे जुड़ेंगे और करीब 30 हजार किलो लीटर पर जो राजस्व नही मिल रहा था वह भी मिलना शुरू होगा साथ ही वर्तमान में 1 लाख 5 हजार किलो0 लीटर की बिक्री है उसमें भी इजाफा होगा और 40 से 45 हजार किलो लीटर डीजल की बिक्री बढ़ेगी।
ऐसे में महीने का 90 से 95 करोड़ की बढ़ोतरी होगी जिसमें 38 करोड़ के नुकसान को घटाने के बाद भी करीब 50 करोड़ का मुनाफा सरकार को है। डीजल के वैट में कटौती से ट्रांसपोर्टिंग खर्च घटेगा। इसका फायदा आम जनता को मिलेगा। खाद्यान सस्ते होंगे।