रिपोर्ट – मनोज शर्मा
धनबाद – धनबाद कोल बेस्ड इंडस्ट्रियल क्षेत्र है। यहां अधिकतर क्षेत्रों में कोयला उत्खनन के लिए जंगलों को उजाड़ा जाता रहा है। लेकिन उसके लिए कई तरह कि कानूनी प्रक्रिया है जिसे पूरा करने के बाद ही पेड़ों को काटा जाता है। लेकिन निरसा के ईसीएल चापापुर 7 नंबर में बगैर वन विभाग की अनुमति के जंगलों को उजाड़ा जा रहा है बड़े बड़े पेड़ उखाड़ फेंके जा रहे हैं। जिससे जंगल के अस्तित्व को लेकर खतरा पैदा होता जा रहा है।
धनबाद के निरसा थाना क्षेत्र में ईसीएल कोयला कंपनी की मनमानी ऐसी है कि उसे कानून का भी भय नहीं है। तभी तो वन विभाग के अनुमति के बगैर धड़ल्ले से जंगल को वीरान बनाने की साजिश रची जा रही है। यहां चापापुर 7 नंबर में कोल वेस्ट डंपिंग के लिए जगह तैयार किया जा रहा है। यहां वन विभाग की ओर से हजारों हजार पेड़ लगाए गए हैं, जिन्हें ईसीएल मुगमा एरिया के अधिकारियों की हिटलरशाही का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। मौके पर जब मीडिया की टीम ने जायजा लिया तो वहां मौजूद ईसीएल के अधिकारी कुछ भी कहे बिना भाग खड़े हुए। आप खुद देखिए और सुनिए कि कैसे कोयला अधिकारी जवाबदेही से भागते दिख रहे हैं।
किसी भी विकास कार्य के लिए जंगलों कि कटाई के लिए अनुमति दी जा सकती है। उसके लिए शर्त यह है कि आप जितने पेड़ों की कटाई करेंगे उसी अनुपात में जगह चिन्हित कर नए पेड़ों को लगाएंगे। मौके पर बुलडोजर चला जंगलों को बर्बाद कर रहे ऑपरेटर ने बताया कि वे एक अदना सा कर्मचारी है उन्हें ईसीएल के बड़े अधिकारियों की अनुमति का पालन करना पड़ता है। यहां मिट्टी फीलिंग करने के दौरान रास्ते में जो भी पेड़ मिल रहे हैं उन्हें उसे उजाड़ना पड़ रहा है।
इस मामले पर जब धनबाद के डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट ऑफिसर से फोन पर बात को गई तो उन्होंने बताया कि ऐसा कोई आदेश नहीं दिया गया है। उन्हें मीडिया के जरिए जानकारी कि बात कहते हुए कहा को मामले की जांच कर कार्यवाही कि जाएगी। बहरहाल देखने वाली बात यही है कि क्या फॉरेस्ट डिपार्टमेंट इस मामले में कोई कार्यवाही करेगा या फिर यूं ही ईसीएल के अधिकारी हिटलरशाही कर जंगलों को तबाह और बर्बाद करते रहेंगे।