धनबाद। बीसीसीएल की कोलियरियों से लगातार हो रही चोरी पर इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स के अध्यक्ष बीएन सिंह ने कहा कि टाटा की कोलियरी में एक छंटाक कोयले की चोरी नहीं होती है जबकि बीसीसीएल में कोयले की लूट मची हुई है। उन्होंने ओपेन आरोप लगाया कि भाकोकोलि में ऊपर से नीचे तक शेयर लेते हैं इसलिए वहां लूट मची हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि टाटा और बीसीसीएल दोनों जगह बाउंड्रीवाल नहीं है लेकिन एक जगह रामराज और दूसरी जगह (बीसीसीएल) अलीबाबा चालीस चोर ।
जीएम और सीआईएसएफ जिम्मेवार :
श्री सिंह ने कहा कि बीसीसीएल में कोयला चोरी के लिए सीधे तौर पर स्थानीय महाप्रबंधक और सीआईएसफ जिम्मेवार है। जीएम को निदेशक का बड़दहस्त प्राप्त है इसीलिए उस पर कार्रवाई नहीं होती। कोयला चोरी का हिस्सा छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों तक मिलता है इसीलिए चोरी रूकने की जगह बढ़ती ही जा रही है।
उन्होंने कहा कि बीसीसीएल के बड़े अफसरान अगर कोयला चोरी रोकने के प्रति थोड़ा भी ईमानदार होते तो सबसे पहले जिस क्षेत्र में कोयला चोरी होती उस क्षेत्र के महाप्रबंधक, प्रोजेक्ट ऑफिसर को जिम्मेवार ठहराते हुए उन्हें सस्पेंड करते दूसरे ही दिन से अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक अपनी ‘जिम्मेवारी’ निभाने लगते। श्री सिंह ने कहा कि चोरी के कोयले के लिए सबका हिस्सा बंटा हुआ है। कोलियरी क्षेत्र में खुलेआम चर्चा है एक ट्रक का जीएम स्तर के अधिकारी को 50 हजार तक मिलता है। इस चर्चा में कितना दम है सीबीआई जांच करे तो सब कुछ साफ हो जायेगा।
करोड़ों के राजस्व का होता है नुकसान :
प्रतिदिन 5 हजार टन कोयले की चोरी होती है। अगर नोटिाइफाइड प्राइस प्रति टन 10 हजार रुपये की दर से गुना करें तो यह राशि 5 करोड़ हो जाती है। यानी प्रतिदिन पांच करोड़ रुपये कोयला कंपनी को नुकसान हो रहा है जबकि केंद्र और राज्य सरकार को लगभग प्रति टन में 3,500 रुपये विभिन्न टैक्सों के मद में सीधा नुकसान प्रतिदिन हो रहा है। जानकार बताते है नोटिफाइड प्राइस पर बाजार फीस 1 फीसदी, जीएटी 5 फीसदी, टीसीएस ( आयकर विभाग का टैक्स) होता है। चोरी से कोयला बाहर निकलने पर इस राशि का सीधा नुकसान सरकार को हो रहा है फिर भी कड़ा एक्शन नहीं होना संदेह को ही जन्म देता है। सलाना अरबों में चोरी हो रही है। कहा तो यही जा रहा है कि इस हमाम में बहुत सारे नंगे हैं।
—- सुझाव –
कोल इंडिया की तरह बीसीसीएल में भी हों आईएएस सीएमडी
आइसीए अध्यक्ष श्री सिंह ने कहा कि बीसीसीएल को बचाने के लिए यहां भी कोल इंडिया चेयरमैन की तरह आईएएस अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक ( सीएमडी ) प्रतिनियुक्त हों।
श्री सिंह ने दूसरा सुझाव दिया कि बीसीसीएल में इतनी बड़ी फौज सीआईएसएफ की है बावजूद कोयला की रखवाली की जगह बेधड़क चोरी हो रही है। सरकार का इस पर काफी खर्च भी है। ऐसे में चाहिए कि कोलियरियों में सीआईएसएफ की जगह प्राइवेट सिक्यूरिटी बहाल की जाए। इससे चोरी पर अंकुश लगेगा। प्राइवेट सिक्यूरिटी को हमेशा डर बना रहेगा कि अगर चोरी हुई तो उसकी नौकरी गयी। ऐसे
तीसरा यह कि जो पदाधिकारी जिस क्षेत्र में प्रतिनियुक्त है उनकी एकाउंटबिलिटी( उत्तरदायित्व) तय होना चाहिए। जिस क्षेत्र में चोरी हुई वहां के पदाधिकारी पर त्वरित कार्रवाई होगी तो कोयला चोरी पर खुद ब खुद लगाम लगेगी।
प्रशासन भी मानता कि कोयला चोरी रोकना बीसीसीएल का काम
धनबाद। जिला प्रशासन की मानें तो कोयला चोरी रोकने की पहली जिम्मेवारी बीसीसीएल की है।
उपायुक्त संदीप सिंह ने भी पिछले दिन मीडिया से बातचीत करते हुए साफतौर पर कहा था कि बीसीसीएल क्षेत्र में कोयलाचोरी हो रही है तो उसे रोकना भी वहां के प्रबंधन और सीआईएसएफ की जिम्मेवारी है।
डीसी ने कहा कि वहां उनकी सुरक्षा व्यवस्था खुद की है । जिला प्रशासन का काम सिर्फ बाहर के क्षेत्र में चोरी आदि पर अंकुश लगाने के साथ ही कोयला कंपनियों को प्रशासनिक सहयोग की जरुरत होती है तो प्रशासन हमेशा तत्पर रहता है।
बड़ा सवाल:
कोेल जगत में इस बात की चर्चा हो रही है कि प्रशासन भी मानता है कि कोयला चोरी के मामले में कहीं ना कहीं कोयला कंपनी जिम्मेवार है तो फिर आये दिन कोयला चोरी होती है फिर निरसा में पिछले कोयला चुनने के क्रम में दब गये तो वहां के सीआईएसएफ या पदाधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई। इस मामले में ना तो कंपनी प्रबंधन की ओर से कोई कार्रवाई ना ही प्रशासन की ओर से।
ऐसे में कुछेक लोग अंगुली दूसरी ओर भी उठा रहे है तो कोई आश्चर्य की बात नहीं मानी जा सकती।