प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए दक्षिण अफ्रीका में हैं. इस बीच इस संगठन का विस्तार किया गया है. अर्जेंटीना, ईरान, मिस्र, सऊदी अरब और यूनाइटेड अरब अमीरात इसके नए सदस्य बने हैं. जनवरी 2024 से यह देश ब्रिक्स के आधिकारिक सदस्य होंगे. 23 देशों ने ब्रिक्स की सदस्यता के लिए आवेदन दिया था. ब्रिक्स प्लस की मीटिंग में आज प्रधानमंत्री मोदी भी शामिल हुए. ब्रिक्स में अभी पांच बढ़ती अर्थव्यवस्थाएं ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ़्रीका शामिल हैं. अब नए सदस्यों के जुड़ने के बाद इस संगठन को ब्रिक्स प्लस कहा जाएगा.
बड़ी बहस अर्जेंटीना को लेकर है. अर्जेंटीना मानता है कि ब्रिक्स का सदस्य होकर अर्थव्यवस्था में सुधार किया जा सकता है, जहां इस साल महंगाई दर 60 फीसदी दर्ज की गई है. अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से अर्जिेंटिना की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है. यह एक बड़ा तेल निर्यातक हुआ करता था लेकिन प्रतिबंधों ने तेल इकोनॉमी को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है.
ब्रिक्स में शामिल हो रहा ईरान, अर्जेंटीना
अर्जेंटीना और ईरान दो ऐसे देश हैं जिन्हें एंटी-अमेरिका माना जाता है. ईरान भी उन आवेदकों में शामिल है जिनकी सदस्यता को आज अप्रूवल मिल सकता है. ईरान और चीन में दोस्ती बढ़ रही है. इस संगठन में पहले से ही रूस और चीन एंटी-अमेरिका की लिस्ट में हैं. अब ईरान-अर्जेंटीना के शामिल होने से इकोनॉमीक कोऑपरेशन वाला संगठन पूरी तौर पर अमेरिका विरोधी होने की राह पर है. ब्राजील को भी इस बात का डर है कि ब्रिक्स एक पश्चिमी विरोधी क्लब बन जाएगा जो अमेरिका और यूरोप में उसके हितों को नुकसान पहुंचा सकता है. ब्राजील लंबे समय से इस विस्तार का विरोध करता रहा है. 2021 में हालांकि, चीन ने अर्जेंटीना को ब्रिक्स का सदस्य बनाए जाने का प्रस्ताव पेश किया था.
ब्रिक्स समिट के लिए दक्षिण अफ्रीका में प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दक्षिण अफ्रीका के एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत हुआ. उप राष्ट्रपति पॉल शिपोकोसा मैशाटाइल रिसीव करने आए. 2019 के बाद से यह पहली बार है जब सभी सदस्य देशों के नेता एक साथ एक मंच पर जुड़े हैं. हालांकि, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सम्मेलन में हिस्सा लेने नहीं आए हैं. रूस ने अपना प्रतिनिधि इस सभा में भेजा है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मीटिंग अभी फाइनल नहीं हुई है. भारत ने कहा है कि इस मसले पर बातचीत चल रही है.