चीन कर रहा अब तक की सबसे बड़ी मिलिट्री ड्रिल, ताइवान, बोला- हम भी माकूल जवाब देने को तैयार

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अमेरिका की हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे से चीन बौखलाया हुआ है। ऐसे में चीन ने गुरुवार को ताइवान को घेरते हुए अपने सबसे बड़े सैन्य अभ्यास की शुरुआत कर दी। वहीं चीनी आर्मी ने ताइवान को घेरते हुए उसके चारों तरफ 6 ‘नो एंट्री जोन’ घोषित कर दिए हैं। ऐसे में अब इस रास्तों से कोई यात्री प्लेन या शिप ताइवान नहीं जा सकता।

वहीं चीन ने अपने मिलिट्री ड्रिल में अपने सबसे बड़े विमानवाहक जंगीपोत, परमाणु हथियार संपन्न सुपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल, स्टेल्थ फाइटर जेट्स, निगरानी और जासूसी वाले विमानों के साथ एंटी-एयरक्राफ्ट गन्स और हमलावर युद्धक पोत का प्रदर्शन किया है।

जानकारी के मुताबिक चीनी सेना ने गुरुवार की दोपहर में ताइवान के आसपास के समुद्र में लाइव-फायर अभ्यास के साथ सैन्य अभ्यास शुरू किया। चीन के सेना ताइवान के चारों तरफ समुद्र में लाइव फायर एक्सरसाइज करेगी, जोकि दोपहर 12 बजे से शुरू होगा और 7 अगस्त तक चलेगी। कई जगह चीन ताइवान की जमीन से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर सैन्य अभ्यास कर रहा है। इसमें चीन की वायुसेना, थल सेना और नौसेना शामिल है।

ताइवान का पलटवार:

चीन के इस रुख पर ताइवान की सेना ने गुरुवार को कहा कि उसकी सेना चीनी सैन्य अभ्यास पर बारीकी से निगरानी कर रही है। ताइवान की सेना ने कहा कि हम युद्ध नहीं चाहते, लेकिन इसके लिए तैयार हैं।

बता दें कि नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से चीन बेहद अक्रामक रुख में आ गया है। बुधवार को चीन के 27 सैन्य विमानों ने ताइवान की ओर उड़ान भरी। इसमें से 22 लड़ाकू विमानों ने ताइवान के हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया। वहीं जब चीनी विमानों को जवाब देने के लिए ताइवान की तरफ से भी लड़ाकू विमानों ने कमान संभाली तो चीनी विमान वापस लौट गए।

ताइवान ने तैनात की मिसाइल सिस्टम:

चीनी नौसेना के जहाजों और सैन्य विमानों ने गुरुवार सुबह ताइवान और चीन सीमा रेखा पार कर लिया। वहीं ताइवान ने बीजिंग की गतिविधि पर नजर रखने के लिए मिसाइल सिस्टम और नौसेना के जहाजों को तैनात किया है। बीजिंग ने आगाह करते हुए कहा कि ताइवान यूक्रेन नहीं है। यह हमेशा चीन का एक अविभाज्य हिस्सा रहा है। यह एक निर्विवाद कानूनी और ऐतिहासिक तथ्य है।

बता दें कि पेलोसी 25 सालों में ताइवान का दौरा करने के लिए सबसे अधिक उच्च पद वाली निर्वाचित अमेरिकी अधिकारी थीं। उनकी इस यात्रा से साफ हो गया है कि अमेरिका ताइवान जैसे लोकतांत्रिक सहयोगी का त्याग नहीं करेगा।

विवाद क्या है:

चीन से तकरीबन 100 मील दूर ताइवान एक द्वीप है। ताइवान खुद को स्वतंत्र राष्ट्र मानता है। वहां ताइवान के लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार है। लेकिन इसके उलट चीन ताइवान पर अपना अधिकार जताता है। ऐतिहासिक रूप से से देखें तो ताइवान कभी चीन का ही हिस्सा था। इसके चलते चीन लगातार एकीकरण के लिए ताइवान पर जोर दे रहा है। दरअसल चीन ताइवान को फिर से अपने नियंत्रण में लेना चाहता है।

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