भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक नोटिस जारी कर इन आरोपों पर अपना रुख बताने को कहा कि उन्होंने राज्य में एक खनन पट्टा (Mining Lease) खुद को फायदा पहुंचाने के लिए जारी किया आरोप साबित हो जाने पर उन्हें राज्य विधानसभा के सदस्य के तौर पर अयोग्य घोषित किया जा सकता है.
एक पदाधिकारी ने कहा, आयोग उन्हें इन गंभीर आरोपों पर अपना रुख पेश करने के लिए एक न्यायोचित मौका देना चाहता है. उन्हें नोटिस का जवाब देने के लिए 10 मई तक का समय दिया जाता है.
निर्वाचन आयोग को राज्य के राज्यपाल से इस मुद्दे पर एक प्रतिवेदन मिला है. आयोग अपने विचार राज्यपाल को भेजेगा. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9ए किसी सरकारी अनुबंध के लिए किसी सांसद या विधायक को अयोग्य करार देने से संबद्ध है. आयोग ने कहा कि नोटिस इस धारा को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया हैं. आयोग ने धारा 9ए के प्रावधानों का प्रथम दृष्टया उल्लंघन पाया है. उक्त धारा के अनुसार, किसी व्यक्ति को अयोग्य घोषित किया जा सकता है, यदि उसने वस्तुओं की आपूर्ति के लिए उपयुक्त सरकार के साथ अपने व्यापार के वास्ते, या उस सरकार के किसी कार्य को करने के लिए अनुबंध किया हो.
आयोग ने राज्य सरकार को खनन पट्टे से संबद्ध दस्तावेज साझा करने को कहा था
आयोग ने हाल में राज्य सरकार को पत्र लिख कर खनन पट्टे से संबद्ध दस्तावेज साझा करने को कहा था. खनिज बहुल राज्य में इस मुद्दे को लेकर एक राजनीतिक विवाद छिड़ गया है. इससे पहले पिछले महीने भारत निर्वाचन आयोग ने झारखंड के मुख्य सचिव से खदान खनन पट्टा आवंटन के मामले में प्रमाणित दस्तावेज मांगे थे. जिसे मुख्य सचिव ने आयोग की ओर से निर्धारित अवधि से तीन दिन पहले ही रिपोर्ट भेज दी थी. तभी से अटकलों का बाजार गर्म था.
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्यपाल से की थी शिकायत
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने फरवरी में राज्यपाल रमेश बैस से मिलकर शिकायत की थी कि सीएम के पद पर रखते हुए जेएमएम कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने माइनिंग लीज ली है. इसपर राज्यपाल ने धारा 191 और 192 के तहत अपनी संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए शिकायती पत्र को चुनाव आयोग के पास भेजा था. इसके बाद चुनाव आयोग ने झारखंड के मुख्य सचिव से खदान लीज आवंटन रिपोर्ट मांगी