इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, 20 जुलाई यानी मुहर्रम का महीना शुरू हो चुका है. इस्लाम में इस महीने को पवित्र माना जाता है. हालांकि, इस महीने खुशियां नहीं बल्कि गम मनाया जाता है.
आज यानी 20 जुलाई 2023 से इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम यानी नया साल शुरू हो गया है इस महीने की 10वीं तारीख यानी रोज-ए-आशुरा काफी खास है. क्रूर शासक यजीद के खिलाफ कर्बला की जंग में पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन की शहादत की याद में इस दिन मातम मनाया जाता है. मुस्लिम लोग ताजिया निकालकर इमाम हुसैन की कुर्बानी को याद करते हैं. मुहर्रम क्यों मनाते हैं, मुहर्रम की दसवीं तारीख रोज-ए-आशुरा का इतिहास क्या है, इस बारे में जान लीजिए.
शिया और सुन्नी मुस्लिमों में मुहर्रम
मुहर्रम का चांद दिखाई देते ही सभी शिया समुदाय के लोग पूरे 2 महीने 8 दिनों तक शोक मनाते हैं. इस दौरान वे लाल सुर्ख और चमक वाले कपड़े नहीं पहनते हैं. इन दिनों ज्यादातर काले रंग के ही कपड़े पहने जाते हैं. मुहर्रम के पूरे महीने शिया मुस्लिम किसी तरह की कोई खुशी नहीं मनाते हैं और न उनके घरों में 2 महीने 8 दिन तक कोई शादियां होती हैं. वे किसी अन्य की शादी या खुशी के किसी मौके पर भी शरीक नहीं होते हैं. शिया महिलाएं और लड़कियां पूरे 2 महीने 8 दिन के लिए सभी श्रृंगार की चीजों से दूरी बना लेती हैं.