विरोध के बाद जम्मू में एक साल से रह रहे लोगों को वोटर बनाने का फैसला वापस

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जम्मू और कश्मीर में गैर-भाजपा राजनीतिक दलों के भारी विरोध के बावजूद जम्मू प्रशासन ने उस आदेश को वापस ले लिया है। जिसमें 1 वर्ष से रह रहे लोगों को वोटर बनाने की बात कही गई थी। उपायुक्त और जिला चुनाव अधिकारी, जम्मू अवनी लवासा ने जिले के तहसीलदारों को निवास का प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अधिकृत करने के अपने आदेश को वापस ले लिया है।

जम्मू जिला चुनाव अधिकारी अवनी लवासा ने मंगलवार को एक आदेश जारी किया था। आदेश में उन दस्तावेजों की सूची दी गई थी, जिसको दिखाकर जम्मू में रह रहे लोग अपनी नागरिकता साबित कर मतदाता बन सकते हैं। आदेश में उन लोगों का भी जिक्र था, जिन लोगों पास इनमें से कोई कागजात नहीं है, जम्मू कश्मीर के भाजपा को छोड़कर सभी राजनीतिक दल सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे थे।

हालांकि बुधवार की देर रात आदेश को वापस लेने का कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया है, लेकिन ऐसा लगता है कि बुधवार को भाजपा को छोड़कर राजनीतिक दलों के व्यापक विरोध के बाद ऐसा किया गया है। इंडियन एक्सप्रेस ने अपने 12 अक्टूबर के संस्करण में लवासा के आदेश का हवाला देते हुए विस्तृत स्टोरी प्रकाशित की थी।

जम्मू-कश्मीर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने दिया संविधान के प्रावधानों का हवाला

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान भाजपा जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रविंदर रैना ने कहा कि लवासा ने अपना आदेश वापस ले लिया है, लेकिन भारत का संविधान है और इसके प्रावधानों के अनुसार, किसी को भी किसी विशेष स्थान पर मतदाता के रूप में पंजीकृत होने से कोई नहीं रोक सकता है।

रैना ने देश के कानून को सर्वोच्च बताते हुए कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 के प्रावधानों के अनुसार, जो कोई भी लंबे समय से एक स्थान पर रह रहा है, वह अपना वोट अपने जन्म स्थान से रहने के स्थान पर स्थानांतरित करने का हकदार है। भाजपा नेता ने कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है और यहां तक कि संविधान भी अपनी पसंद के स्थान पर मतदाता के रूप में नामांकित होने का अधिकार देता है।

बता दें, चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित दस्तावेजों के अभाव में पात्र मतदाताओं को मतदाता के रूप में पंजीकृत होने में आने वाली कठिनाइयों का उल्लेख करते हुए लवासा ने मंगलवार को सभी तहसीलदारों को रहने वाले व्यक्ति (व्यक्तियों) को आवश्यक क्षेत्र सत्यापन करने के बाद निवास प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अधिकृत किया था।

हालांकि, भाजपा को छोड़कर राजनीतिक दलों ने जम्मू के उपायुक्त के आदेश का विरोध किया। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने गैर-स्थानीय निवासियों को मतदान का अधिकार देने के लिए भाजपा की आलोचना की। इसने जम्मू-कश्मीर में 25 लाख गैर-स्थानीय मतदाताओं को जोड़ने की अपनी योजना के साथ आगे बढ़ने के लिए सरकार की भी आलोचना की।

महबूबा मुफ्ती ने भाजपा पर लगाए थे गंभीर आरोप

यह आदेश आने के बाद राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि बीजेपी जम्मू और कश्मीर के बीच धर्म और क्षेत्र के आधार पर बंटवारा करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी के इन प्रयासों को विफल किया जाना चाहिए। इससे लोगों की भीड़ शामिल होगी जो न केवल डोगरा संस्कृति को बल्कि क्षेत्र में व्यापार, नौकरियों और संसाधनों को भी नुकसान पहुंचाएगा। जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष विकार रसूल वानी ने इस आदेश को स्थानीय मतदाताओं की शक्ति को कम करने के लिए भाजपा का गेम प्लान बताया था।

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