बदहाल श्रीलंका को मिला नया PM, रानिल विक्रमसिंघे ने ली प्रधानमंत्री

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श्रीलंका में विपक्ष के नेता और यूनाइटेड नेशनल पार्टी  के नेता रानिल विक्रमसिंघे ने गुरुवार को श्रीलंका (Sri Lanka) के नए प्रधानमंत्री (Prime Minister) के रूप में शपथ ली.

विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने प्रधानमंत्री नियुक्त किया. इससे पहले दोनों ने बुधवार को बंद कमरे में बातचीत की थी. कुछ दिन पहले ही महिंदा राजपक्षे ने देश के बिगड़ते आर्थिक हालात के मद्देनजर हुई हिंसक झड़पों के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. श्रीलंका के चार बार प्रधानमंत्री रह चुके विक्रमसिंघे को अक्टूबर 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने प्रधानमंत्री पद से हटा दिया था. हालांकि दो महीने बाद ही सिरीसेना ने उन्हें फिर से प्रधानमंत्री बना दिया था.

देश की सबसे पुरानी पार्टी यूएनपी 2020 के संसदीय चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी और यूएनपी के मजबूत गढ़ रहे कोलंबो से चुनाव लड़ने वाले विक्रमसिंघे भी हार गए थे. बाद में वो सकल राष्ट्रीय मतों के आधार पर यूएनपी को आवंटित राष्ट्रीय सूची के माध्यम से संसद पहुंच सके. वहीं श्रीलंका की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, उनके बेटे नमल राजपक्षे और 15 अन्य लोगों के देश छोड़ने पर रोक लगा दी. अदालत ने ये रोक पिछले हफ्ते कोलंबो में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हुए हमले की चल रही जांच के मद्देनजर लगाई है.

पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और 16 अन्य के देश छोड़ने पर लगी रोक

फोर्ट मजिस्ट्रेट की अदालत ने उनके विदेश जाने पर रोक, सोमवार को गोटागोगामा और माइनागोगामा प्रदर्शन स्थल पर हुए हमले की जांच के मद्देनजर लगाई है. जिन लोगों के देश छोड़ने पर रोक लगाई गई है उनमें सांसद जॉनसन फर्नांडो, पवित्रा वन्नीराचची, संजीवा इदिरिमाने, कंचना जयरत्ने, रोहिता अबेगुनावर्धना, सीबी रत्नायके, संपत अतुकोराला, रेणुका परेरा, सनत निशांत, वरिष्ठ डीआईजी देशबंधु तेन्नेकून शामिल हैं. इससे पहले अटॉर्नी जनरल ने इन 17 लोगों के विदेश जाने पर रोक लगाने का अनुरोध किया था. उन्होंने अदालत के समक्ष तर्क दिया था कि गोटागोगामा और माइनागोगामा प्रदर्शन स्थल पर हुए हमले की जांच के सिलसिले में इनकी श्रीलंका में उपस्थिति जरूरी है. उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि इन लोगों ने हमले का षडयंत्र रचा था

सोमवार को महिंदा राजपक्षे के समर्थकों द्वारा शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर किए गए हमले के बाद पूरे देश में हिंसा भड़क गई थी. सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी देश में आर्थिक संकट, खाद्यान्न की कमी के मद्देनजर राजपक्षे परिवार के नेतृत्व वाली सरकार के इस्तीफे की मांग कर रहे

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