नेताओं के दो सीट से चुनाव लड़ने पर लगे रोक: चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को भेजे संशोधन के लिए 6 प्रस्ताव

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चुनाव आयोग में नए मुख्य आयुक्त राजीव कुमार की नियुक्ति के बाद जल्द ही चुनाव से जुड़े महत्त्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं। चुनाव आयोग ने वोटर कार्ड को आधार से लिंक करने, ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल पर बैन लगाने के साथ ही 6 प्रस्ताव केंद्र सरकार में कानून मंत्रालय को प्रस्ताव भेजे हैं। चुनाव आयोग के प्रस्तावों को मंजूरी मिल जाती है तो जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 के सेक्शन 37(1) में बड़ा बदलाव होगा। प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद एक उम्मीदवार एक ही सीट से चुनाव लड़ सकेगा।

जी हाँ, रिपोर्ट के अनुसार चुनाव आयोग ने लंबे समय से की जा रही मांग पर भी हरी झंडी मांगी है। यह मांग जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के सेक्शन 33(7) के संशोधन से जुड़ी है। इस संशोधन का उद्देश्य एक उम्मीदवार को दो सीटों से चुनाव लडऩे से रोकना है। यह एक्ट वर्तमान में एक व्यक्ति को दो निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने की अनुमति देता है। चुनाव आयोग ने साल 2004 में ही एक्ट की धारा 33(7) में संशोधन का प्रस्ताव रखा था। बता दें, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के सेक्शन 33 (7) में ही एक व्यक्ति को दो क्षेत्रों से चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई है।

इन प्रस्तावों के मुताबिक चुनाव आयोग ने मतदाता पहचान पत्र को आधार से लिंक करने से जुड़े नियमों और नए वोटर को रजिस्टर करने से जुड़े चार कट-ऑफ डेट से जुड़े नियमों को नोटिफाई करने को कहा है। नए मुख्य आयुक्त के नेतृत्व में चुनाव आयोग ने नए मतदाताओं को रजिस्टर करने से जुड़े चार कट-ऑफ डेट से जुड़े नियमों को भी जल्द अधिसूचित करने का प्रस्ताव दिया है। पिछले साल दिसंबर में राज्यसभा में बिल पास हो चुका है।

राजनीतिक दलों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार भी मांगा

आयोग ने राजनीतिक दलों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार भी मांगा है। आयोग का कहना है कि कई दल रजिस्ट्रेशन कराते हैं लेकिन कभी चुनाव नहीं लड़ते। आयोग का मानना है कि इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि इन राजनीतिक दल का गठन सिर्फ आयकर छूट का लाभ लेने के लिए हुआ हो।

एग्जिट व ओपिनियन पोल पर लगे लगाम

आयोग ने एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल पर लगाम लगाने की भी सिफारिश की थी। आयोग का कहना है कि चुनाव की पहली अधिसूचना के दिन से लेकर सभी चरणों में चुनाव पूरा होने तक ओपिनियन पोल के परिणामों के प्रसार पर कुछ प्रतिबंध होना चाहिए।

2000 से ऊपर के दान में पारदर्शिता की मांग
आयोग का कहना है कि 20,000 रुपए के बजाय 2,000 रुपए से ऊपर के सभी दान को स्पष्ट करने के लिए फॉर्म 24 ए में संशोधन किया जाए।
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