रिमांड होम के बाहर लड़कियों को जिस्मफरोशी के लिए भेजा जाता है, सोशल मीडिया पर युवती का विडियो वायरल

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“नशे का इंजेक्शन देकर वहां गंदा काम करने पर मजबूर किया जाता है. मेरे साथ भी ऐसी हरकत हुई. सुंदर लड़कियां वंदना गुप्ता की चहेती हैं. जो उसके खिलाफ रहती है, उसे पागल करार दे दिया जाता है. उसे भूखा रखा जाता है. जिंदगी बनाने के नाम पर लड़कियों को रिमांड होम के बाहर जिस्मफरोशी के लिए भेजा जाता है. शाम के बाद वहां अक्सर बाहरी लोगों को आना-जाना होता है. वह कहती है, यहां आती हो पुलिस की मर्जी से लेकिन जाओगी वंदना गुप्ता की मर्जी से,” सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में एक युवती ने ये सनसनीखेज आरोप लगाए हैं.

यह वीडियो उस युवती का है जो बिहार की राजधानी पटना के गायघाट स्थित रिमांड होम में करीब सात माह रहने के बाद तीन महीने पूर्व वहां से बाहर निकली है. इस युवती के आरोपों ने एक बार फिर मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड की याद ताजा कर दी है. करीब ढाई मिनट के इस वीडियो में युवती कहती है, “हसीना नाम की एक युवती को फांसी लगा दी गई थी. अभी तक पागलखाने में उसका कंकाल होगा. हसीना ने सुइसाइड नहीं किया था, उसे मारा गया था.”

कई गंभीर आरोप

इनके अलावा भी युवती ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं. इस मामले ने तब जोर पकड़ लिया जब महिला विकास मंच नामक संस्था की राष्ट्रीय संरक्षक वीणा मानवी व अन्य सदस्यों ने इस युवती को लेकर सोशल मीडिया में आवाज बुलंद की तथा रिमांड होम के अंदर की हरकतों की जांच के लिए पुलिस व प्रशासनिक दफ्तरों पर दस्तक दी.

वीणा मानवी ने फेसबुक लाइव के जरिए लोगों से इस युवती को न्याय दिलाने के लिए उस वीडियो को शेयर करने की गुजारिश की, जिसमें उसे साथ लेकर अपनी टीम की सदस्यों के साथ वह इस दफ्तर से उस दफ्तर तक भटकती दिख रहीं हैं.

वीणा कहती हैं, ‘‘यह बच्ची किसी के साथ उनके पास काउंसलिंग के लिए आई. काउंसलिंग के दौरान उनकी टीम के सदस्यों ने यह महसूस किया कि वह काफी डरी हुई है. उसे यह डर था कि उसे वापस कहीं रिमांड होम न भेज दिया जाए. काफी मशक्कत के बाद विश्वास में लेने पर उसने जो बताया वह रोंगटे खड़े करने वाला है.”

जांच हो चुकी है

वीणा बीते 29 जनवरी को युवती को लेकर सबसे पहले गांधी मैदान थाना गईं. जो वीडियो वायरल हुआ है, वह उसी थाने का है. उसी दिन शाम को पटना के एसएसपी को इसकी जानकारी दी गई. उनके निर्देश पर रविवार को युवती को महिला थाना ले जाया गया, जहां उसका बयान दर्ज किया गया. तब से वह युवती महिला विकास मंच के संरक्षण में है.

जैसे ही मामला तूल पकड़ने लगा, बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग ने महज 24 घंटे में ही जांच कर अपनी रिपोर्ट दे दी. समाज कल्याण मंत्री मदन साहनी ने कहा, ‘‘इस प्रकरण की जानकारी मिलने के बाद अधिकारियों की एक टीम भेजकर जांच कराई गई. गायघाट बालिका गृह में कोई गलत काम हो रहा है, इसकी पुष्टि नहीं हुई है. लड़कियों के शोषण की भी शिकायत नहीं मिली है.” पुलिस ने समाज कल्याण विभाग की रिपोर्ट को सत्य मानते हुए इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की.

विवादों में पटना का गायघाट रिमांड होम

जबकि उस युवती का कहना है कि अब तक जिला प्रशासन या समाज कल्याण विभाग का कोई अधिकारी उससे मिलने नहीं आया और उससे बगैर बात किए ही क्लीन चिट दे दी गई. बुधवार को पटना हाईकोर्ट ने मीडिया में चल रही खबरों के आधार पर इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया है. जुवेनाइल जस्टिस मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर इसे रजिस्टर्ड किया गया है.

एक और युवती ने लगाए आरोप

गायघाट रिमांड होम से संबंधित एक और ऑडियो सामने आया है. दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह आडियो अधिवक्ता मीनू कुमारी तथा रिमांड होम में रह चुकी पटना जिले की ही एक युवती के बीच बातचीत का है जिसमें वह कह रही है कि जिस युवती वीडियो के जरिए रिमांड होम की पोल खोली है, वह पूरी तरह सच है.

बातचीत में वह कहती है, “यह आरोप पूरी तरह सच है कि वंदना गुप्ता जबरन दवा खिलवाती हैं. रात में बाहर से लड़कों को बुलवाती हैं. जब वंदना गुप्ता सुपरिंटेंडेंट बनकर आई थीं तो उनकी गंदी हरकतों के कारण जमकर हंगामा हुआ था. काफी तोड़फोड़ भी हुई थी. किसी तरह से उस समय बवाल को शांत किया गया था.” महिला अधिवक्ता के अनुसार जिस युवती ने फोन पर उनसे बात की है, वह रिमांड होम में पांच साल रह चुकी है.

भ्रष्टाचार बड़ी वजह

टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने बिहार सरकार के निर्देश पर 2017 में राज्य के सभी बाल संरक्षण गृहों का ऑडिट किया था और मार्च 2018 में इसकी रिपोर्ट सामने आई थी. इस रिपोर्ट में बच्चियों के यौन शोषण व हत्या का सनसनीखेज खुलासा किया गया था. मुजफ्फरपुर में चल रहे बालिका गृह सेवा संकल्प एवं विकास समिति में 29 बच्चियों के साथ बलात्कार का मामला सामने आया था. (पढ़ेंः बड़ा जटिल है संरक्षण गृहों का ‘गोरखधंधा’)

शेल्टर होम के अंदर की घटना सामने आने के बाद लगा था कि बिहार के शेल्टर व रिमांड होम की हालत सुधर जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. शेल्टर या रिमांड होम में रहने वाली लड़कियां-महिलाएं आज भी उतनी ही असुरक्षित महसूस करती हैं. जानकार बताते हैं कि स्थिति में सुधार नहीं आने की सबसे बड़ी वजह भ्रष्टाचार है, जिसे राजनेता-अफसर गठजोड़ के जरिए अंजाम दिया जाता है.

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले को लेकर जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल करने वाले पटना सिविल कोर्ट के अधिवक्ता केडी मिश्र ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में दावा किया है कि वंदना गुप्ता समाज कल्याण विभाग में बतौर चाइल्ड प्रोटेक्शन अफसर तैनात हैं. मिश्र ने कहा, “उन्हें केवल कुछ महीनों तक ही महिला रिमांड होम की सुपरिटेंडेंट के पद पर रखा जा सकता है, किंतु वे कई सालों से रिमांड होम में तैनात हैं.”

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