जापान ने बृहस्पतिवार को एक एक्स-रे दूरबीन ले जाने वाला रॉकेट प्रक्षेपित किया। ये ब्रह्मांड की उत्पति का पता लगाएगा। जापान के रॉकेट में दूरबीन के साथ-साथ चांद की सतह पर उतारने के लिए एक छोटा लैंडर भी है। जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी का दावा है कि हमें उम्मीद है कि एक्स-रे दूरबीन ले जाने वाले रॉकेट के जरिये हम उस राज पर से भी पर्दा उठा सकेंगे कि कैसे ब्रह्मांड की उत्पति हुई।
रॉकेट के प्रक्षेपण और प्रशांत क्षेत्र पर उड़ान भरने के बाद जेएएक्सए ने कहा- हमने रॉकेट प्रक्षेपित कर दिया। प्रक्षेपण के 13 मिनट बाद रॉकेट ने एक्स-रे इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी मिशन या एक्सआरआईएसएम नाम के एक उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया। ये गति मापेगा और आकाशगंगाओं के बीच की संरचना का पता लगाएगा। जेएएक्सए ने कहा कि इससे प्राप्त होने वाली जानकारी से यह जानने में मदद मिलेगी कि आकाशीय पिंड कैसे बनते हैं। जेएएक्सए ने कहा कि हमारी कोशिश ये पता लगाने की है कि ब्रह्मांड की उत्पति कैसे हुई?
जापान ने स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून भी भेजा
नासा के सहयोग से जेएएक्सए विभिन्न तरंग दैर्ध्य पर प्रकाश की शक्ति, अंतरिक्ष में चीजों के तापमान और उनके आकार व चमक का पता लगाएगा। अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून भी भेजा गया है। इसे चंद्रमा पर उतरने वाला एक हल्का लैंडर भी कह सकते हैं। स्मार्ट लैंडर को संभवतः अगले साल की शुरुआत में चांद की सतह पर उतारने का प्रयास किया जाएगा। दक्षिण-पश्चिमी जापान के तनेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से एचआईआई-ए रॉकेट के प्रक्षेपण का (जेएएक्सए) ने सीधा प्रसारण किया।
गौरतलब है कि हाल ही में भारत ने विक्रम लैंडर को चांद की सतह पर उतारकर दुनिया को भौचक करने वाला कारनामा किया है। इसरो की ये उपलब्धि इस वजह से भी खास है क्योंकि रूस अपने इसी तरह के मिशन में फेल हो गया था। रूसी मिशन बीच में ही धाराशायी हो गया था। उसके फ्लाप होने के कुछ समय बाद ही इसरो ने अपने लैंडर विक्रम को चांद की सतह पर उतारकर कमाल का काम कर दिखाया।