केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) में चार किसानों की मौत के मामले में जेल से मंगलवार को रिहाई मिली. इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने सोमवार को अपने संशोधित आदेश में आशीष मिश्रा को अक्टूबर 2021 की घटना के सिलसिले में जमानत दे दी थी. इससे पहले गुरुवार को ही आशीष मिश्र को जमानत मिल गई थी. लेकिन जमानत के आदेश में दो धाराएं छूट गई थीं, जिसे जुड़वाने के लिए शुक्रवार को आशीष मिश्र के वकील हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच पहुंचे थे.
आवेदन में कहा गया था, “यह केवल टाइपोग्राफिक त्रुटि है, जबकि अदालत ने पहले से ही इन धाराओं के तहत जमानत पर विचार किया है और इस तरह, आदेश में इन धाराओं को जोड़ने की अनुमति दी जा सकती है.” न्यायमूर्ति राजीव सिंह की पीठ ने सुधार आवेदन पर सोमवार को आदेश पारित किया. गुरुवार को पारित जमानत आदेश में धारा 147, 148, 149, 307, 326, 427 के साथ आईपीसी की धारा 34, शस्त्र अधिनियम की धारा 30 और मोटर वाहन अधिनियम की धारा 177 का उल्लेख किया गया, लेकिन धारा 302 और धारा 120 (बी) छोड़ दिया गया था.
आठ लोगों की हुई थी मौत
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी. इस बीच, संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आशीष मिश्रा को जमानत देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले की निंदा की है और कहा है कि यह आदेश मामले में निष्पक्ष जांच और न्याय की उम्मीद को धूमिल करता है.
आशीष मिश्रा के खिलाफ जाएंगे सुप्रीम कोर्ट- राकेश टिकैत
किसान नेता राकेश टिकैत ने मंगलवार को कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) लखीमपुर खीरी हिंसा प्रकरण पर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगा. राकेश टिकैत ने कहा “पूरे देश और पूरी दुनिया ने अजय टेनी और आशीष टेनी के सबसे कुख्यात लखीमपुर खीरी प्रकरण को देखा. आशीष मिश्रा को एक जघन्य अपराध करने के बावजूद तीन महीने के भीतर जमानत मिल गई.’
उन्होंने आगे कहा, “क्या ऐसी तानाशाही सरकार की जरूरत है, या इस तरह की व्यवस्था की जरूरत है जिसमें एक व्यक्ति वाहन के नीचे लोगों को कुचलता है और वह तीन महीने के भीतर जेल से बाहर निकल जाता है. आने वाले समय में वे जनता के साथ कैसा व्यवहार करेंगे?”