झारखंड में बूढ़ा पहाड़ से नक्सली आउट, 30 साल से था कब्जा; अब CRPF ने जमाया डेरा

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सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि झारखंड में बूढ़ा पहाड़, जो नक्सल बाहुल्य इलाका था, उसे मुक्त करा दिया गया है. हेलीकॉप्टर की मदद से वहां फोर्स भेजी गई है. सुरक्षाबलों के लिए वहां स्थाई कैंप लगाया गया है. यह तीन अलग-अलग ऑपरेशनों के तहत किया गया है. डीजी कुलदीप सिंह ने बताया कि अप्रैल 2022 से अब तक छत्तीसगढ़ में सात नक्सली, झारखंड में चार और मध्य प्रदेश में तीन नक्सली ऑपरेशन थंडरस्टॉर्म के तहत मारे गए हैं. कुल 578 माओवादियों ने आत्मसमर्पण/गिरफ्तार किया है.

सीआरपीएफ डीजी कुलदीप सिंह ने कहा कि अब हम कह सकते हैं कि बिहार-झारखंड नक्सल मुक्त हैं. रंगदारी गिरोह के रूप में इनकी मौजूदगी यहां हो सकती है, लेकिन यहां ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां नक्सलियों का दबदबा हो. साथ ही बिहार-झारखंड में अब ऐसी कोई जगह नहीं बची, जहां सेना नहीं पहुंच सकती है. डीजी कुलदीप सिंह ने बताया कि वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) की घटनाओं में 77 फीसदी की कमी आई है. 2009 में यह 2,258 के सर्वकालिक उच्च स्तर पर था, जो वर्तमान में घटकर 509 हो गया है. मृत्यु दर में 85% की कमी आई है.

CRPF ने चलाए 3 बड़े ऑपरेशन

बता दें कि झारखंड का बूढ़ा पहाड़ 30 साल से ज्यादा नक्सलियों के कब्जे में था. अब वहां सीआरपीएफ का पूरा कब्जा हो गया. ये इलाका इतनी आसानी से कब्जे में नहीं आया है. इसके लिए सीआरपीएफ ने तीन बड़े ऑपरेशन चलाए. पहला आपरेशन आक्टोपस, दूसरा बुलबुल और तीलरा थंडरस्टार्म चलाया गया.

नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई का अंतिम चरण जारी

बूढ़ा पहाड़ झारखंड और मध्य प्रदेश के ट्राई जंक्शन पर है. सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह ने कहा कि ये बहुत बड़ी उपलब्धि है. गृह मंत्रालय की नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई अंतिम चरण में है. बूढ़ा पहाड़ को कब्जे में लेने के लिए इंटेलिजेंस कनेक्शन पर बहुत ज्यादा जोर दिया गया. क्षेत्र में सोर्स डेवलप किया गया. सोर्स ने इसमें प्रमुख भूमिका अदा की. इस एरिया में 20 से ज्यादा फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (FOB) बनाए गए हैं.

2022 में अब तक 7 माओवादी मारे गए

सीआरपीएफ डीजी ने कहा कि छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य एरिया में भी हम लोग लगातार जंगलों की तरफ जा रहे हैं. यहां पर जंगली इलाकों में 19 फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस बनाया गया है. यहां अनवरत ऑपरेशन चल रहे हैं. 2021 में पांच माओवादी मारे गए थे. 2022 में सात माओवादी मारे जा चुके हैं. इसके साथ ही लगातार यहां पर माओवादी आत्मसमर्पण कर रहे हैं.

शीर्ष माओवादियों के गढ़ में महीनों तक चले इन अभियानों में सुरक्षा बलों को अप्रत्याशित सफलता प्राप्त हुई,जिसमें 14माओवादियों को मार गिराया गया व 590 से अधिक की गिरफ्तारी/आत्मसमर्पण हुआ। जिसमें लाखों-करोड़ों के ईनामी माओवादी जैसे मिथिलेश महतो जिसपर ₹1करोड़ का इनाम था पकड़े गए हैं।

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