मोदी सरकार की कैबिनेट ने 15 दिसंबर बुधवार को महिलाओं के विवाह की कानूनी उम्र को 18 से 21 वर्ष तक करने का प्रस्ताव पारित किया। जोकि पुरुषों के समान है। इसको लेकर द इंडियन एक्सप्रेस को सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब सरकार बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 में एक संशोधन संसद में पेश करेगी। इसके चलते विशेष विवाह अधिनियम और हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 जैसे व्यक्तिगत कानूनों में संशोधन लाएगी।
बता दें कि अभी लड़िकयों की शादी की उम्र कानूनी रूप से 18 साल तय की गई है। ऐसे में अब इस बदलाव के बाद 21 साल से कम उम्र की लड़िकयों का विवाह करना गैर-कानूनी होगा। गौरतलब है कि बुधवार को कैबिनेट की मिली मंजूरी जया जेटली की अध्यक्षता वाली केंद्र की टास्क फोर्स द्वारा दिसंबर 2020 में नीति आयोग को सौंपी गई सिफारिशों पर आधारित है।
जनसंख्या नियंत्रण करना मकसद नहीं: जया जेटली ने कहा, “मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि सिफारिश के पीछे हमारा तर्क कभी भी जनसंख्या नियंत्रण करने का नहीं रहा। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण द्वारा जारी हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि कुल प्रजनन दर घट रही है और जनसंख्या नियंत्रण में है। शादी की उम्र को लेकर उन्होंने कहा कि इसके पीछे का हमारा मकसद महिलाओं का सशक्तिकरण करना है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने पहली बार 2.0 की कुल प्रजनन दर हासिल की। यह दर्शाता है कि आने वाले सालों में जनसंख्या विस्फोट की संभावना नहीं है। आंकड़ों से यह भी पता चला है कि बाल विवाह 2015-16 में 27 प्रतिशत से मामूली कम होकर 2019-21 में 23 प्रतिशत हो गया है।