वैज्ञानिकों ने डीएनए का अध्ययन कर खोज निकाला लंबी उम्र का राज

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वॉशिंगटन। वैज्ञानिक यह पता लगाने में कामयाब हो गए हैं कि शतायु या उससे अधिक जीवन जीने वाले लोग आखिर उम्र के इस पड़ाव तक कैसे पहुंच पाते हैं। अमरीका में बोस्टन विश्वविद्यालय और टफ्ट्स मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने यह पता लगाने के लिए 100 से लेकर 119 वर्ष की आयु के सात पुरुषों और महिलाओं के डीएनए का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि दुर्लभ आबादी में प्रतिरक्षा कोशिकाओं की एक अनूठी संरचना होती है, जो उन्हें अत्यधिक कार्यात्मक प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्युनिटी) प्रदान करती है। यह संरचना उन्हें रोगों से उभरने और लंबी उम्र पाने में मदद करती है। वैज्ञानिक अब यह पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि क्या संक्रमण होना, उससे लड़ना ही महत्वपूर्ण है या चिरायु प्राप्त करने वालों की इम्युनिटी आनुवांशिक रूप से भी मजबूत होती है।
स्पेनिश फ्लू और कोरोना महामारी का किया सामना:

शोधकर्ताओं ने उत्तरी अमरीका में शतायु या उससे अधिक उम्रदराज वृद्धों की पेरीफेलर ब्लड मोनोन्यूक्लियर कोशिकाओं (रक्त में मौजूद प्रतिरक्षा कोशिकओं की विस्तृत श्रेणी) का अध्ययन किया। विश्लेषण कर उन्होंने दीर्घायु के लिए प्रतिरक्षा-विशिष्ट पैटर्न की पहचान की। सामान्य प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग संक्रमणों के संपर्क में आते हैं, उनसे ठीक होते हैं और भविष्य के संक्रमणों के अनुकूल होना सीखते हैं। उम्र बढऩे के साथ-साथ इम्युनिटी घटने लगती है। लेकिन शतायु या उससे अधिक उम्र वालों में यह सुरक्षात्मक प्रणाली बेहद मजबूत और अलग होने की वजह से वृद्ध स्पेनिश फ्लू और कोरोना महामारी का भी सामना कर पाए।
दीर्घायु से जुड़े विशिष्ट जीन की हुई पहचान:

शोधकर्ताओं की टीम ने 25 विशिष्ट जीन की पहचान की, जो लंबी आयु पाने वाले बुजुर्गों में अधिक सक्रिय थे। ये जीन अत्यधिक दीर्घायु के लिए आनुवंशिक पैटर्न का खुलासा करते हैं। इनमें शोधकर्ताओं ने ‘एसटीके17ए’ जीन का अधिक उपयोग पाया, जो क्षतिग्रस्त डीएनए की मरम्मत करने के लिए जाना जाता है। अन्य जीन एचएलए-डीपीए1 था, जो शरीर में कुछ संक्रमणों के लिए आवश्यक एंटीजन बनाता है। एस100ए4 जो शतायु या उससे अधिक उम्र वालों में पाया गया, यह आयु संबंधी रोगों के अध्ययन के लिए एस100 परिवार का हिस्सा है, जो दीर्घायु और मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने से जुड़ा है।

अन्य शोधों में बुजुर्गों के बच्चे भी शामिल:

शोध से जुड़े विशेषज्ञ इसी तरह के अन्य अध्ययन भी कर रहे हैं जिनमें शतायु जीवन जीने वाले बुजुर्गों के बच्चों को भी शामिल किया गया है। उनमें से अधिकांश कुछ समय बाद स्वयं भी 100 साल के हो जाएंगे। समय-समय पर इन लोगों के रक्त के नमूने एकत्र किए जा रहे हैं। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि जल्द ही हमारे पास दीर्घायु के संबंध में बेहतर उत्तर होगा। स्टेटिस्टा के अनुसार विकसित और विकासशील देशों में समान रूप से जीवन प्रत्याशा बढ़ रही है, जिससे 100 साल तक जीने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है। 2000 में वैश्विक स्तर पर इनकी संख्या 1.7 लाख थी, यह तादाद 2100 तक 2.1 करोड़ होने की संभावना है।

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