भारत में फेस ट्रांसप्लांट को मंजूरी… जानिए क्या है प्रॉसेस

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अब भारत में भी फेस ट्रांसप्लांट हो सकेगा. हरियाणा के फरीदाबाद के एक प्राइवेट हॉस्पिटल को इसकी परमिशन दी गई है. इस परमिशन के बाद एसिड अटैक सर्वाइवर्स फेस ट्रांसप्लांट करा सकेंगे. जनवरी में फरीदाबाद के एक प्राइवेट हॉस्पिटल ने हरियाणा के हेल्थ डिपार्टमेंट ने फेस ट्रांसप्लांट की परमिशन मांगी थी. देशभर में ऑर्गन डोनेशन को मॉनिटर करने वाली सरकारी एजेंसी NOTTO के डायरेक्टर डॉ. कृष्ण कुमार का कहना है, कई शर्तों के साथ फरीदाबाद के अमृता हॉस्पिटल को फेस ट्रांसप्लांट करने की मंजूरी दी गई.

फेस ट्रांसप्लांट के लिए परमिशन मांगने का यह कोई पहला मौका नहीं है. करीब 6 साल पहले बेंगलुरू के नारायणा हॉस्पिटल ने कर्नाटक सरकार से फेशियल ट्रांसप्लांट सेंटर बनाने के लिए अनुमति मांगी थी. लेकिन सरकार का कहना था कि इसकी अनुमति देने के बाद इसका इस्तेमाल कॉस्मेटिक प्रोसीजर या अपराधी खुद को बचाने के लिए कर सकते हैं. इसलिए हरी झंडी नहीं मिली थी. जानिए, क्या है फेस ट्रांसप्लांट, इसमें कितना समय लगता है और इस प्रक्रिया कितनी चुनौतियां हैं.

क्या है फेस ट्रांसप्लांट?

मेयो क्लीनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, फेस ट्रांसप्लांट के जरिए मरीज को एक नया चेहरा दिया जाता है. ऐसा तब किया जाता है जब पीड़ित का चेहरा जल गया हो, डैमेज हुआ हो, किसी बीमारी के कारण चेहरे पर डिफेक्ट हुआ हो या फिर किसी दूसरी वजह से चेहरे का कोई हिस्सा बुरी तरह से प्रभावित हुआ हो.

अक्सर ऐसे मामलों में मरीज की डिप्रेशन में चले जाते हैं, इसलिए फेस ट्रांसप्लांट कराने की नौबत आती है. हालांकि हर देश में आसानी से इसकी परमिशन नहीं मिलती. भारत में अब इसकी शुरुआत हो रही है. फेस ट्रांसप्लांट की स्थिति में मरीज को नया चेहरा दिया जाता है.

ट्रांसप्लांट में आखिर होता क्या है?

मरीज के चेहरे की विकृति को छिपाने और चेहरे के डैमेज हुए हिस्सों को वापस आकार देने के लिए फेस ट्रांसप्लांट किया जाता है. इसके लिए किसी ऐसे ब्रेनडेड बॉडी की जरूरत होती है जिसका चेहरा निकाला जा सके. ऐसा करने के लिए बाकायदा उसके परिवार की अनुमति ली जाती है. उसके चेहरे को मरीज के चेहरे पर ट्रांसप्लांट किया जाता है.

इस प्रक्रिया के दौरान ब्रेन डेड मरीज की स्किन, हड्डियां, मांसपेशियां, नर्व्स और कई तरह के टिश्यूज लिए जाते हैं. ऐसा करने के लिए डॉक्टर्स के पास समय कम होता है. ब्रेन डेड घोषित होने के बाद मृतक को 3 घंटे से लेकर अधिकतम 7 घंटे तक ही प्रिजर्व किया जा सकता है.

फेस ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया में 15 से 20 घंटे लगते हैं. हालांकि यह निर्भर करता है कि चेहरा पाने वाले का मरीज का फेस किस हद तक डैमेज हुआ है. इस पूरे ट्रांसप्लांट में 10 से 20 लाख रुपए लग सकते हैं.

भारत में फेस ट्रांसप्लांट के लिए कितनी चुनौतियां?

भारत में फेस ट्रांसप्लांट के लिए चुनौतियां कम नहीं है. देश में अभी भी अंगदान करने वाले या ब्रेन डेड मरीज मिलना आसान नहीं है. अक्सर ब्रेन-डेड रोगियों के परिवार के सदस्य लीवर, हृदय, गुर्दे और फेफड़े जैसे आंतरिक अंगों को दान करने की इच्छा तो जताते हैं लेकिन फेस ट्रांसप्लांट के लिए बॉडी डोनेट करने से कतराते हैं क्योंकि इससे मृतक का चेहरा प्रभावित हो जाता है.

स्क्रॉल डॉट इन की खबर के मुताबिक, कर्नाटक के चीफ ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर जोसेफ कहते हैं, मान लीजिए अगर हम 50 परिवारों को हाथ डोनेट करने के लिए कहते हैं तो महज 1 से 2 परिवार ही इसके लिए राजी होते हैं. इस तरह किसी भी मृतक का हाथ या चेहरा पाना बहुत मुश्किल है. खासकर मौत के तुरंत बाद जब घर में परिवार के सदस्य शोक मना रहे हों, ऐसे समय में परिवार को फेस ट्रांसप्लांट के लिए समझा पाना मुश्किल है.

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