पूर्व सांसद उमाकांत यादव सहित 7 आरोपियों को शाहगंज जीआरपी कॉन्स्टेबल की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुना दी गई। सोमवार (8 अगस्त 2022) को जीआरपी कॉन्स्टेबल अजय सिंह क परिजनों को 27 सालों के बाद न्याय मिला है। इस मामले की सुनवाई जौनपुर के अपर सत्र न्यायाधीश तृतीय की कोर्ट में चल रही थी। इस कोर्ट ने उमाकांत यादव सहित 7 लोगों को मामले में दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके अलावा इन लोगों पर पांच लाख का जुर्माना भी लगाया गया है।
ये मामला 4 फरवरी साल 1995 का है जब शाहगंज जंक्शन रेलवे स्टेशन पर उमाकांत यादव के किसी रिश्तेदार को छोड़ने के लिए उनका ड्राइवर रेलवे स्टेशन आया था। इस दौरान ड्राइवर की रेलवे के एक जीआरपी के कॉन्सटेबल के साथ कुछ कहा सुनी हो गई थी। जिसकी वजह से जीआरपी के सिपाही ने उमाकांत यादव के ड्राइवर को थाने में बैठा लिया। ये वो दौर था जब उमाकांत और रमाकांत नाम के दोनों भाइयों का आजमगढ़ और जौनपुर के शाहगंज क्षेत्रों में दबदबा हुआ करता था।
उमाकांत ने अपने 7 साथियों के साथ की थी ताबड़तोड़ Firing
जैसे ही इस बात की खबर उमाकांत यादव तक पहुंची वो तुरंत ही अपने कई हथियारबंद साथियों और अपने लाव-लश्कर के साथ शाहगंज जंक्शन पहुंच गये और स्टेशन पर रेलवे पुलिस फोर्स पर ताबड़तोड़ फायरिंग की। इस फायरिंग में एक सिपाही अजय सिंह की मौत हो गई थी जबकि कई लोग घायल हो गए थे। इस घटना के बाद से उमाकांत यादव पूरे क्षेत्र में दहशत का पर्याय बन चुके थे।
सिपाही की हत्या के समय BSP के MLA थे उमाकांत
जब ये मामला हुआ था तब विधायक बहुजन समाज पार्टी से खुटहन विधानसभा क्षेत्र के विधायक थे। इस हत्याकांड के बाद उमाकांत पूरे क्षेत्र में दहशत का पर्याय बन चुके थे। इन सभी आरोपियों को अब इस हत्याकांड में उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। आपको बता दें कि जौनपुर की एमपी-एमएल कोर्ट इतिहास में ये अब तक का सबसे बड़ा फैसला रहा है।