अखिलेश यादव ने मैनपुरी के करहल से दाखिल किया पर्चा, कार्यकर्ताओं में दिखा भारी उत्साह

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यूपी की सत्ता को हासिल करने के लिए और बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने की कवायद में प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव जुटे हुए हैं वो मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं उन्होंने सोमवार को इस सीट से नामांकन दाखिल कर दिया है।

समाजवादी पार्टी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का इस मौके पर मैनपुरी में खासी गर्मजोशी के साथ शहर में जगह-जगह कार्यकर्ताओं ने भव्य स्वागत किया।

बताते हैं कि इस मौके पर नामांकन कराने को मैनपुरी के लिए रवाना होने के लिए अखिलेश यादव जिस विजय रथ से पहुंचे उसकी हनुमान मंदिर में पूजा की गई फिर उसी पर सवार होकर उन्होंने कलेक्ट्रेट पहुंचकर पर्चा दाखिल कराया।

सैकड़ों वाहन के काफिले के बीच सड़कों पर उमड़ी भीड़ के चलते विजय रथ दोपहर में मैनपुरी कलेक्ट्रेट पहुंचा भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस के पुख्ता इंतजाम थे।

सबसे पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि अखिलेश यादव आजमगढ़ की किसी विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे, इसको बल तब और मिला जब उन्होंने कहा कि वह आजमगढ़ की जनता से पूछ कर कोई फैसला करेंगे। और जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं ने चुनावी रण की तैयारी भी कर ली थी, इसके बाद अचानक पार्टी की तरफ से फैसला आया कि अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल सीट से चुनाव लड़ेगे।

करहल सीट से समाजवादी पार्टी का वर्चस्व रहा है

करहल विधानसभा अखिलेश यादव के पैतृक गांव सैफई से सटी हुई है और वहां पर समाजवादी पार्टी का लंबे समय से वर्चस्व रहा है। 2012 में जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने थे तो उस समय वह विधान परिषद सदस्य के जरिए सदन पहुंचे थे इसी तरह मायावती कभी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ीं और योगी आदित्यनाथ भी 2017 में विधान परिषद से ही सदन में पहुंचे थे लेकिन इस बार योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सदर से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में अगर अखिलेश यादव चुनाव नहीं लड़ते तो भाजपा उसे मुद्दा बना देती। इसलिए उनका चुनाव लड़ना राजनीतिक रुप से जरूरी हो गया था।

सपा का गढ़ होने की सबसे बड़ी वजह करहल सीट का जातिगत समीकरण

समाजवादी पार्टी का गढ़ होने की सबसे बड़ी वजह करहल सीट का जातिगत समीकरण है बताते हैं कि यहां पर कुल 3.71 लाख आबादी हैं जिसमें से 1.44 लाख करीब यादव मतदाता हैं। इसके बाद शाक्य 34 हजार से ज्यादा, क्षत्रिय 24 हजार से ज्यादा है। जबकि 14 हजार से ज्यादा मुस्लिम और ब्राह्मण आबादी है। ऐसे में यादव और मुस्लिम आबादी को मिलाकर करीब 50 फीसदी आबादी हो जाती है जो कि समाजवादी पार्टी परपंरागत रुप से समर्थक हैं जिससे जीत की राह आसान हो जाती है।

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