जनसंख्या नियंत्रण’ पर कानून बनाने की मांग, SC ने केंद्र को जारी किया नोटिस, मांगा जवाब

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जनसंख्या नियंत्रण को लेकर एक बार फिर कानून बनाने की मांग की गई है. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है. शीर्ष अदालत ने इस याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. कोर्ट में यह याचिका स्वामी जितेंद्रनंद सरस्वती ने दाखिल की है. अदालत ने जितेंद्रनंद सरस्वती की याचिका पर केंद्र सरकार से जबाव मांगा है. धार्मिक संत स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में 13 अपैल को कहा था कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए एक कानून लाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा था कि भारत की आधी परेशानियों के लिए देश की तेजी से बढ़ रही जनसंख्या जिम्मेदार है.

जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि सरकार बढ़ती आबादी को रोजगार नहीं दे पा रही है और न ही भोजन, पानी जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा कर पा रही है. यही वजह है कि इन जरूरी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून पर खास ध्यान दिया जाना चाहिए. स्वामी में यह भी कहा कि अगर जनसंख्या कानून जल्दी नहीं लाया जाता, तो देश ‘टूट’ की तरफ बढ़ सकता है. उन्होंने कहा कि जनसंख्या कम होगी, तो सबको रोजगार भी मिलेगा और साफ पानी-खाना और शुद्ध पर्यावरण भी मिलेगा.

15 जून को भी डाली गई थी याचिका

इससे पहले, 15 जून को जनसंख्या को कंट्रोल करने के लिए कानून बनाने और दिशा-निर्देश तैयार करने को लेकर एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी. यह याचिका मथुरा के कथावाचक और आध्यात्मिक गुरु देवकीनंदन ठाकुर ने दायर की थी. इस याचिका में मांग की गई थी कि केंद्र सरकार को कठोर जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने के लिए निर्देश दिया जाए. जनहित याचिका में कहा गया था कि संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19, 21 के अंतर्गत आने वाले मूल अधिकारों की सुरक्षा के लिए जनसंख्या कानून बनाना जरूरी है, इसके लिए केंद्र को निर्देश दिया जाए.

महिलाओं पर पड़ रहा बुरा प्रभाव

सुप्रीम कोर्ट ने देवकीनंदन ठाकुर द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था. देवकीनंदन ने याचिका में कहा था कि एक विकल्प के तौर पर शीर्ष अदालत, विधि आयोग को जनसंख्या को कम करने के उपायों पर सुझाव देने का और विकसित देशों के जनसंख्या नियंत्रण कानूनों तथा नीतियों की समीक्षा करने का निर्देश दे सकता है. उन्होंने आगे कहा कि इस तरह का कानून नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, जिसमें साफ पानी और भोजन, स्वच्छ हवा, बेहतर स्वास्थ्य के अधिकार शामिल हैं. देवकीनंदन ठाकुर ने यह भी कहा कि बढ़ती जनसंख्या का प्रभाव सबसे ज्यादा महिलाओं पर पड़ा है. क्योंकि उनपर बार-बार बच्चे पैदा करने का दबाव बनता है.

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