सीएसआईआर-सिम्फर, धनबाद में हुआ हिन्दी पखवाड़ा का उद्घाटन

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धनबाद : सीएसआईआर – केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान, धनबाद के बरवा रोड स्थित सभागार में पूर्वाह्न 11 बजे हिन्दी पखवाड़ा का उद्घाटन किया गया। संस्थान के निदेशक, डॉ. प्रदीप कुमार सिंह; मुख्य वैज्ञानिक, डॉ. गौतम बनर्जी एवं प्रशासनिक अधिकारी, श्री दशमथ मुर्मू के द्वारा दीप प्रज्वलन करते हुए उद्घाटन समारोह का शुभारंभ किया गया। कोविड-19 के नियमों को ध्यान में रखते हुए विभागाध्यक्ष और अनुभाग प्रमुख सभागार में उपस्थित थे और संस्थान के क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्रों समेत बरवा रोड एवं डिगवाडीह के शेष सभी वैज्ञानिक, अधिकारी तथा कर्मचारीगण ऑनलाइन माध्यम से कार्यक्रम से जुड़े थे।
संस्थान के निदेशक, डॉ. प्रदीप कुमार सिंह ने भारतीय इतिहास के सुनहरे पन्नों पर प्रकाश डालते हुए अपने संबोधन में कहा कि भारतीय सभ्यता, संस्कृति एवं भाषाएं अत्यंत समृद्धशाली थीं। नालंदा जैसे महान विश्वविद्यालयों में प्राचीन ग्रंथों के हिन्दी में होने के प्रमाण मिले हैं, जिससे इस बात का आभास होता है कि उस समय हमारी हिन्दी कितनी समृद्धशाली हुआ करती थी। किसी भी संस्कृति को समाप्त करने के लिए सबसे पहले वहाँ की भाषा को खत्म करने की कोशिश की जाती है। यही अंग्रेजों ने भी किया। अंग्रेजों ने हिंदी एवं अन्य प्रांतीय भाषाओं पर आघात करते हुए अंग्रेजी भाषा की दासता को हम पर थोपते हुए हमारी सभ्यता एवं संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया। न जाने कितने भारतीय राजवंशों ने गुलामी को न सहते हुए देश के लिए स्वयं को न्यौछावर कर दिया, लेकिन उनका उल्लेख शायद ही कहीं मिलता हो।
उन्होंने आगे कहा कि हिंदी में काम करना आसान है, बस इच्छाशक्ति होनी चाहिए। अंग्रेजी में बोलने या लिखने पर गर्व महसूस होना ही हमारी भाषायी दासता का परिचायक है। उन्होंने सहज, सरल एवं बोधगम्य हिंदी में काम करने की सलाह देते हुए हिंदी और सभी क्षेत्रीय भाषाओं का विकास करने पर बल दिया।
इस अवसर पर संस्थान के नागपुर क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. राजेन्द्र कुमार विश्वकर्मा, द्वारा “बायोमेट्रिक उपकरणों के संपर्क रहित स्वच्छता के लिए यूवी आधारित स्वचालित तकनीक: कोविड-19 शमन की दिशा में अभिनव कदम” विषय पर ज्ञानवर्धक एव उपयोगी तकनीकी व्याख्यान दिया गया। उन्होंने बताया कि नागपुर केंद्र द्वारा विकसित इस तकनीक के माध्यम से बायोमेट्रिक उपकरणों पर पराबैंगनी किरणों की मदद से कुछ ही क्षणों में वायरस निष्क्रिय हो जाएगा। आईसीएमआर में भी इसका परीक्षण किया गया।
प्रशासनिक अधिकारी,  दशमथ मुर्मू ने राजभाषा प्रतिज्ञा दिलवायी। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया। श्रीमती अनिमा कुमारी महातो, वरिष्ठ हिंदी अनुवादक द्वारा मंच संचालन एवं डॉ गौतम बनर्जी, मुख्य वैज्ञानिक द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया।
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