बिहार सरकार ने दो दिन पहले हुई एक पुल ढहने की घटना को लेकर इसकी निर्माण कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है और संबंधित एग्जीक्यूटिव इंजीनियर (कार्यपालक अभियंता) को निलंबित कर दिया गया है। सड़क निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया है कि, हरियाणा की जिस कंपनी को ठेका दिया गया था, उसे बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के प्रबंध निदेशक ने कारण बताओ नोटिस जारी कर 15 दिनों के भीतर जवाब मांगा है। बताया कि, कंपनी से पूछा गया है उसे सरकार द्वारा काली सूची में क्यों नहीं डाला जाना चाहिए और उसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए ?
1700 करोड़ से बन रहा था पुल
भागलपुर और खगड़िया जिलों को जोड़ने के लिए गंगा नदी पर 1,700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से इस पुल को बनाया जा रहा था। रविवार को इसका एक हिस्सा ध्वस्त हो गया था, हालांकि इस दौरान कोई हताहत नहीं हुआ। बताते हैं कि, करीब एक साल पहले भी इसी पुल का एक हिस्सा ध्वस्त हुआ था। सीएम नीतीश कुमार ने पुल की आधारशिला फरवरी 2014 में रखी थी और इसका निर्माण 2019 तक पूरा किया जाना था। हादसे के बाद मुख्यमंत्री ने सोमवार को काम की खराब गुणवत्ता और पूरा होने में देरी को लेकर कड़ी नाराजगी जताई थी। वहीं, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि, राज्य सरकार संरचनात्मक खामियों के कारण निर्माणाधीन पुल को गिराने की योजना बना रही है। बता दें कि, तेजस्वी के पास सड़क निर्माण विभाग का प्रभार भी है।
क्या बोले थे तेजस्वी
तेजस्वी यादव ने हादसे पर कहा कि, 30 अप्रैल को इस पुल का एक हिस्सा ढह गया था। तब हमने एक अध्ययन करने के लिए, निर्माण मामलों में विशेषज्ञता के लिए प्रख्यात आईआईटी-रुड़की से संपर्क किया। इसकी अंतिम रिपोर्ट आनी बाकी है, लेकिन संरचना का अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों ने बताया था कि इसमें गंभीर खामियां हैं। भाजपा पर पलटवार करते हुए तेजस्वी ने कहा पिछले साल, इस पुल का एक हिस्सा आंधी में बह गया था। तब राज्य में भाजपा सत्ता में थी। इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा हुई थी और मैंने विपक्ष के तत्कालीन नेता के तौर पर इसे मजबूती से उठाया था। सत्ता में आने पर, हमने एक जांच का आदेश दिया और विशेषज्ञों की राय मांगी। बता दें कि, आज हुए एक्शन पर अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि, कार्य की गुणवत्ता पर नजर रखने में विफलता के लिए विभाग ने एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को सस्पेंड कर दिया गया है