कोई भी राष्ट्र शिक्षा के बल पर ही समृद्ध और विकसित बन सकता है । इजरायल, जापान , जर्मनी, फ्रांस आदि छोटे छोटे देश समृद्धि के शिखर पर शिक्षा के बल पर ही विराजमान हुए हैं । उक्त बातें शुक्रवार को शिक्षा दिवस के अवसर पर प्राथमिक शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय मसौढ़ी पटना में आयोजित कार्यक्रम में महाविद्यालय के व्याख्याता डा सुधांशु कुमार ने कही । आगे उन्होंने बताया कि हमारे यहां ‘सा विद्या या विमुक्तये’ के साथ – साथ ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ की परिकल्पना को हमारे ऋषियों व आचार्यों ने साकार किया , जिसके कारण भारत ने विश्व को राह दिखाने का काम किया साथ ही इसी शिक्षा के कारण जर्मनी का प्रसिद्ध विद्वान मैक्समूलर ने कहा है कि ‘ विश्व में सर्वोत्कृष्ट मस्तिष्क का साक्षात्कार सर्वप्रथम भारत ने किया ।’
कार्यक्रम के अध्यक्षीय संबोधन में उक्त महाविद्यालय के प्राचार्य डा. उपेन्द्र कुमार ने कहा कि आज शिक्षा ही सभी प्रकार की समृद्धियों का मूल व हेतु है । उन्नत शिक्षा के बिना किसी भी समाज, राष्ट्र व मानवीयता की उन्नति संभव नहीं है । इसलिए अभाव या मजबूरी की स्थिति में जरूरत पड़े तो आधी रोटी खाकर भी बच्चों को शिक्षित अवश्य करें।
व्याख्याता शशिबाला कुमारी ने कहा कि हम लोग शिक्षा के कारण ही कभी विश्वगुरु के पद पर आसीन हुए थे तब इसी शिक्षा ने हमें सोने की चिड़िया बनाया । व्याख्याता श्रीमती मीनाक्षी कुमारी ने कहा कि कालांतर में मैकाले ने हमारी स्वर्णिम और समृद्ध शिक्षा – व्यवस्था को रसातल में पहुंचा कर हमारी आर्थिक और सांस्कृतिक समृद्धि को रसातल में पहुंचाने का कुकृत्य किया ।
इस अवसर पर प्रधान लिपिक श्री मनोज कुमार, कंप्यूटर आपरेटर श्रीमती माला कुमारी , राकेश कुमार, पारस कुमार, वृंद कुमार, लालकेश्वर आदि सहित तेजस्वी, उचितानंद , मनीष, रणजीत, विकास, बिट्टू, कुंदन, कंगन बाला , पूजा, ऋतु, रुचिता, राखी, सोनिया, स्नेह लता, रिंकी , अर्चना, चंचला, नुसरत , आदि सभी प्रशिक्षु मौजूद थे। धन्यवाद ज्ञापन व्याख्याता श्रीमती सीमा कुमारी ने किया।