आज नागी नकटी पक्षी विहार की चर्चा पुरे बिहार में जोरों से हैं। यह झील बिहार के जमुई जिला के झाझा प्रखंड में जमुई शहर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित हैं
नागी नकटी पक्षी विहार हमारा राज्य बिहार ही नहीं पुरे देश का एक अनूठा आद् भूमि है जो हर साल हजारों प्रवासी पक्षियों को आश्रय प्रदान करता है।
इस झील की भौगोलिक स्थिति ,समृद्ध जलीय आवास एंव प्रचुर जलीय भोजन की उपलब्धता प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करता है।
इस झील की चर्चा पुरे भारत में पहली बार तब हुआ था जब यहाँ बिहार की मुख्यमंत्री श्री नितिश कुमार एवं उपमुख्यमंत्री श्री तारकिशौर प्रसाद एवं बिहार सरकार की अन्य मंत्री एवं भारत के पक्षी बिशेषज्ञ की आगमन कलरव उत्सव,पहला पक्षी महोत्सव 15 जनवरी 2021 को हुआ।
उसी समय से हमारे ग्रमीण एंव कुछ गैर सरकारी संगठन इस झील के विकास के लिए समय समय पर आवाज बुलंद करते रहे।
नागी नकटी झील करीब 521हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है जो एक ओर पहाडी क्षेत्र तो दूसरी ओर पथरीली एवं अग्रीकल्चर भूमि से घिरा हुआ है।
इस झील का निर्माण बताया जाता है कि ङ्क्षसचाई योजना के रूप में नागी – नकटी जलाशय का शिलान्यास 1955 – 56 में किया गया। उस समय तीन करोड़ की लागत से निमार्ण कार्य प्रारंभ किया गया था। कार्य पूरा होने के बाद नागी – नकटी डैम से करीब 9850 एकड़ जमीन को पानी दिए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
बाद में सरकार ने पक्षियों की हितों की रक्षा के लिए सन 1972 में धारा 18 के अंतर्गत नागी – नकटी जलाशय और आस – पास के क्षेत्र को शिकार रहित क्षेत्र घोषित करते हुए यहां जीव हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। 25 फरवरी 1984 को सरकार ने पक्षी अभ्यारण के रूप में नागी – नकटी डैम को स्वीकृति दी थीं।
झील मे पुरे साल पानी से भरी रहने के कारण यह झील प्रवासी पक्षियों के लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण करती है।
जाड़े के मौसम में नवम्बर से फरवरी माह तक विदेशी पक्षी यहाँ प्रवास के लिए पहुंचते हैं।
लगभग 140 प्रजाति की प्रवासी पक्षियाँ जिसे साइबेरियन बर्ड्स कहते हैं हिमालय पर्वत को पार कर 13-14 दिनों तक लगातार उड़कर बिना कहीं रुके यहाँ नवम्बर माह में आती है और मार्च तक इसी जलाशय में प्रवास करती है।
इस झील के विकास से यहाँ के ग्रामीणों एवं आस पास के लोगों को रोजगार के अवसर पैदा होगा। इस झील के आसपास इकोटूरिजम की असीम संभावनाएं हैं। झाझा-बोड्बा सड़क के 2 लेन बनने से इस झील में पर्यटकों को आने में बहुत ही सहुलियत मील रही है।
यहां के सभी ग्रामीणों का पहला कर्तव्य है कि हमारे व्यवहार एवं आचरण से इस दुर्लभ पक्षियों को किसी भी प्रकार की कोई हानि नहीं हो।
झील के आसपास के इलाके में प्लास्टिक ,पोलीथिन बैग ,थर्मोकोल एवं सिंगल युज प्लास्टिक पर बैंड होने के कारण उपयोग नहीं करें।
नागीडैम नकटी डैम के विकास के लिए पिछ्ले बर्ष जमुई फॉरेस्ट अफसर ,खासकर D.F.O – पियूष कुमार एवं मेघा मैडम के अथक प्रयाश से बर्ड गाइड का सफल ट्रेनिंग हुआ । और फिर प्लास्टिक वेन के लिए बांस की बनी बस्तु की ट्रेनिंग की शुरुआत की हैं
झील के चारों दिशाओं में एक एक वाच टावर का निर्माण एवं झील के समीप एक गेस्ट हाउस का होना बहुत ही आवश्यक है।
झील के चारों तरफ वृक्षारोपण,झील की अन्दर देवबृक्ष पीपल,बरगद,नीम ,कदम होने से पक्षियों के साथ साथ पर्यावरण को भी लाभ पहुच रहा है।
नागी नकटी में आए हुए साइबेरियन सहित अन्य प्रवासी और देशी पक्षियों के लगभग 150 प्रजातियां जाड़े के मौसम में इस जलाशय में डेरा डालते हैं। इसमें राजहंस, लिटल ग्रेबे, लिटल कार्मोरेंट, ग्रेहेरॉन, पर्पल हेरॉन, इंडियन पाण्ड्स हेरॉन, केटल एग्रेट, लिटल एग्रेट, सर्बियन क्रेन, डामी डेथ, पोचार्ड, लालसर, ओपन बिल स्टाप, काली गर्दन वाली पनडुब्बी, छोटी पनडुब्बी, वन कौआ आदि प्रजातियों के पक्षी शामिल हैं। लिहाजा दिल्ली, कोलकाता, पटना, भागलपुर, मुंगेर समेत देश के विभिन्न हिस्सों से पर्यटक व पक्षी प्रेमी यहां पहुंचने लगे हैं।
ये सारी जानकारी बर्ड गाइड अवधेश कुमार के सौजन्य से उपलब्ध कराई गईं है। हमने उनके मोबाईल नम्बर भी टैग किया उनसे उनके मोबाईल नम्बर पर बात करके विशेष जानकारी ले सकतें हैं।