जमुई।जिले के नक्सल प्रभावित झाझा पुलिस अनुमंडल क्षेत्र में भूमि विवाद की समस्या दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही हैं।इस तरह के मामले में आए दिन हिंसक झड़प और हत्या की घटनाएं घटित होती रहती हैं।सूबे के मुख्य मंत्री इस तरह के मामले को गंभीरता से लेते हुए इसके निराकरण के लिए अधिकारियों को निर्देश दे रखी।लेकिन झाझा पुलिस अनुमंडल क्षेत्र में इस तरह के मामले को पुलिस सुलझाती कम उलझाती नजर ज्यादा आती हैं।
झाझा के एक बहुचर्चित भूमि विवाद के मामले में पुलिस ने हद पार कर दी।जिस मामले को लेकर अनेको दफा 144 के मामले दर्ज हुए और फैसला सुनाया गया।हर बार एक ही मामला,विरोधी की हरकतें हमेशा की तरह एक ही अंदाज की रही,फैसला हमेशा तहरीर के आधार पर की गई।
चलिए आपको बता दे कि झाझा के तेलियाडीह निवासी रणजीत कुमार यादव के केवाला(खरीद)की जमीन के पक्ष में अनुमंडल पदाधिकारी ने उपर्युक्त मामले में दो बार फैसला सुनाया।हर बार के मामले विरोधी लोगो द्वारा जबरन निर्माण करने की बात पुलिस की रिपोर्ट में भी बताई गई।लेकिन कहते है इस दफा उक्त मामले को लेकर पुलिस ने गलत रिपोर्ट पेश करने में अहम भूमिका निभाई हैं।जब रणजीत कुमार यादव के जमीन पर जबरन कब्जा निर्माण किया जा रहा था तो उन्होंने इसकी शिकायत झाझा पुलिस थाने में की। लेकिन कार्रवाई नही हुई,और विरोधी निर्माण करते रहे।
जब यह बात मीडिया में उजागर हुई तो थानाध्यक्ष को नागवार गुजरा।उन्होंने इस मामले में चुप्पी साध ली।जब यह बात पुलिस अधीक्षक व एसडीएम तक पहुँची तो फिर 144 की प्रक्रिया अपनाई गई।लेकिन इस दफा जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर ने हद कर दी।कब्जेनुमा निर्माण को घर बताकर,दखलकब्ज रहने की बात विरोधियों के पक्ष में रहने की बात अपनी रिपोर्ट में दर्शा दी गई।
आपको बता दे कि अंचलाधिकारी ने विगत अगस्त माह,2022 को अपने पत्र में थानाध्यक्ष को विरोधी लोगो के विरुद्ध अग्रेतर कार्रवाई करने की बात करने का लिखित निर्देश दिया था।उस वक्त तक जमीन परती थी।इस बात का जिक्र अंचलाधिकारी ने स्वयं किया।यह जमीन रणजीत कुमार यादव की है,इस बात की लिखित पुष्टि अंचलाधिकारी ने अपने पत्र में किया।लेकिन इंसाफ नहीं मिला बल्कि रणजीत कुमार यादव के जमीन पर कब्जा करवाने में मौन सहमति दे डाली।और फिर 144 की रिपोर्ट में उक्त अवैध निर्माण को घर बताकर कब्जा दर्शाकर रिपोर्ट एसडीएम के यहां भेज दिया गया।
क्योंकि पूर्व के दो दफा के रिपोर्ट में झाझा के तत्कालीन पुलिस जांच अधिकारियों ने विरोधियों की गलत कारगुजारियों का पर्दाफाश किया था। पुलिस के जांच के दौरान उनलोगों ने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार भी किया था।इस बात की रिपोर्ट पूर्व के 144 की रिपोर्ट में किया जा चुका है।लेकिन इस दफा पुलिस के सुर बदल गए,आखिर क्यों?यह जांच का विषय है।