नोटबंदी के बाद बाजार में प्रचलन में आये दो हजार के नोट को लेकर सरकार ने संसद में बड़ी जानकारी दी है। सरकार की तरफ से संसद में एक लिखित सवाल के जवाब में कहा गया है कि 2018-19 से दो हजार के नोटों की छपाई के लिए नया मांग पत्र नहीं रखा गया है। इसके प्रचलन से बाहर होने के पीछे यह भी एक कारण हैं।
बता दें कि वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने एक सवाल के जवाब में राज्यसभा में कहा कि विशेष मूल्यवर्ग के बैंक नोटों की छपाई का निर्णय सरकार द्वारा रिजर्व बैंक के साथ परामर्श करके लिया जाता है। इसमें जनता के लेनदेन संबंधी मांग को सुविधाजनक बनाने का भी ध्यान रखा जाता है। जिन नोटों की आवश्यकता जनता को अधिक होती है, उन नोटों के प्रचलन का फैसला होता है।
उन्होंने कहा कि 31 मार्च, 2018 को दो हजार के 336.3 करोड़ नोट (एमपीसीएस) परिचालन में थे। जो मात्रा और मूल्य के मामले में एनआईसी का क्रमशः 3.27 प्रतिशत और 37.26 प्रतिशत है। वहीं 26 नवंबर 2021 को 2,233 एमपीसीएस परिचालन में थे। जो मात्रा और मूल्य के संदर्भ में एनआईसी का क्रमश: 1.75 प्रतिशत और 15.11 प्रतिशत है।
नोट कम होने की वजह: चौधरी ने कहा, ‘नोटबंदी के बाद बाजार में आये 2,000 रुपये के नोट के प्रचलन में कमी होने के पीछे इसके लिए नया मांग पत्र नहीं रखा जाना है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018-19 से दो हजार के नोटों की छपाई को लेकर करेंसी प्रिंटिंग प्रेस के पास कोई नया मांगपत्र नहीं आया। इसके अलावा, नोट गंदे या कटे-फटे होने पर भी प्रचलन से बाहर हो जाते हैं।
नोटबंदी का फैसला: गौरतलब है कि मोदी सरकार ने 8 नवंबर 2016 को अन्य उद्देश्यों के साथ, काले धन पर अंकुश लगाने के लिए उस समय के 500 और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने का फैसला लिया था। इस फैसले के बाद ही 2,000 और 500 रुपये के नोट की एक नई श्रृंखला पेश की गई। वहीं बाद में 200 रुपये के नोट को भी पेश किया गया।