Video-1992 झरिया पटाखा कांड विशेष- वो ख़ौफ़नाक मंजर याद कर भर जाती है अपनो को खोये हुए लोगो की आंखे

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झरिया : दीपावली नजदीक आने के साथ ही झरिया शहर के बाजार गुलजार हो गए हैं। बाजार में बिकने वाली दीप, मोमबत्ती, लक्ष्‌मी, गणेश की रंग बिरंगी मूर्तियां, पटाखे आदि की कई दुकानें सज चुकी हैं। त्यौहार नजदीक आते ही बाजार में सामान की खरीदारी के लिए ग्राहकों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है। बाजार में लोग भारी संख्या में खरीदारी करते हुए दिखाई दे रहे हैं, कोई बाजार में पूजा सामग्री खरीद रहा है तो कोई पटाखे, घरों में सजावट के लिए रंग बिरंगी लड़ियां व नए कपड़े खरीद रहे हैं। लेकिन दीपावली से संबंधित घनी आबादी वाला झरिया शहर का काला इतिहास भी रह चुका है। यहाँ के लोग आज भी वर्ष 1992 मे घटी झरिया पटाखा कांड वाले मंजर को याद कर कांप उठते है।

कई परिवारों ने इस दिन अपनो को खो दिया था। ग्राहकों से भरी पड़ी सिंदुरिया पट्टी की संकरी गलियों के लोग आज भी वो दिन याद कर कांप उठते है। सिंदूरिया पट्टी स्थित  पटाखा के दुकान में आग लगी थी जिसके बाद वो आग तेजी से फैलती हुई कई दुकानों व मकानों को अपने आगोश मे ले लिया था। सरकारी आंकड़े के अनुसार इसमें 29 लोगों और गैर सरकारी आंकड़ों के अनुसार 60 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। मंजर ऐसा की हर तरफ चीख पुकार मची हुई थी।

हर तरफ फैली आग के कारण लोग बदहवास इधर उधर भाग रहे थे। एक-एक घर से तीन-तीन लाशें निकली थी। कई लाशों की पहचान भी नहीं हो पाई थी। बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव सहित कई मंत्री और अधिकारी झरिया पहुंचे थे। मृतक के परिजनों से मिल सांत्वना दे सरकारी मदद का आस्वासन भी दिया था लेकिन कुछ लोगों को छोड़ अधिकांश लोग आज भी सरकारी मदद राशि मिलने की उम्मीदों पर जी रहे है।

कई वर्ष तक झरिया मे पूरी तरह प्रतिबंधित रहा पटाखों की बिक्री

1992 मे हुए झरिया पटाखा कांड की घटना के बाद प्रशासन द्वारा कई सालों  तक झरिया में पटाखा बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया। बीते कुछ सालों बाद किसी तरह लाइसेंस निर्गत कर पटाखा दुकानें वर्ष 2000 के बाद चालू हुईं। लेकिन आज झरिया के बाजारों मे दर्जन भर लाइसेंसी दुकानों के नाम पर फिर से कई दुकाने झरिया के भीड़ भाड़ वाले क्षेत्रों मे खुल   एक बार फिर से किसी बड़ी अनहोनी को आमंत्रण दे रही है।

क्या कहते है पटाखा कांड मे अपनो को खोए हुए परिजन

स्वर्गीय विकास गुप्ता की माँ श्यामा देवी गुप्ता-   गांधी रोड निवासी श्यामा देवी गुप्ता ने बताया कि उनका दस वर्षीय पुत्र विकाश गुप्ता बाजार गया सूचना मिली कि सिंदुरिया पट्टी मे पटाखों के कारण भीषण आग लग गई जिसने उनके पुत्र को हमेशा के लिए अपने आगोश मे ले लिया। तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने झरिया का दौरा कर अस्वासन दिया लेकिन आज भी हम सरकारी मदद से वंचित है।

 

स्वर्गीय प्रिंस कुमार गुप्ता के भाई दिनेश कुमार साव –  सिंदुरिया पट्टी निवासी दिनेश कुमार साव ने बताया कि उनका भाई प्रिंस कुमार गुप्ता अपने सिंदुरिया पट्टी स्थित  दुकान मे बैठे हुए थे तभी अचानक पटाखों की तेज आवाज के साथ पूरे दुकानों में आग लगनी शुरू हो गई। लोग बदहवास जिधर देखो जान बचाने के लिए भागने लगे। उनका भाई प्रिंस गुप्ता भी इस मे बुरी तरह झुलस गया। वो मंजर याद कर रूह कांप उठती है।

 

स्वर्गीय राजकुमार जायसवाल का पुत्र दीपक जायसवाल-  सिंदुरिया पट्टी के निवासी दीपक जायसवाल ने बताया कि लगभग उनकी उम्र लगभग आठ वर्ष की थी जब उनके सिर से पिता का साया उठ गया। उनके पिता राजकुमार जायसवाल अपने दुकान पर ही थे तभी अचानक लोग अपनी जान बचाने के लिए भागते नजर आए जब तक वो कुछ समझ पाते तेज आग की लपटें उन्हें चपेट मे ले लिया। आज 29 वर्ष हो गए आज भी पिता जी को याद करता हु तो आँखे नम हो जाती है।

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