गुरुवार की शाम बरबिंदिया नदी घाट में हुए नाव दुर्घटना के बाद शुक्रवार सुबह से ही रेस्क्यू का कार्य प्रारंभ है। समाचार प्रेषण तक बीस घण्टे बीत गए हैं। चमत्कार की आशा में घाट पर लोंग जमे हुये है। रेस्क्यू टीम नदी में खोजबीन कर रही है परंतु अभी तक किसी का भी शव बरामद नहीं हुआ है।
एसडीपीओ पीतांबर सिंह खेरवाड़,थाना प्रभारी दिलीप कुमार यादव , पूर्व विधायक अरूप चटर्जी, कांग्रेस निरसा प्रखंड अध्यक्ष डीएन प्रसाद यादव,माले नेता उपेंद्र सिंह ,राष्ट्रवादी युवा कांग्रेस के उमेश गोस्वामी, जिप सदस्य मिथुन रोहिदास ,दिल मोहम्मद बापीन घोष सभी सुबह से ही घाट पर डटे हुए हैं।
विधायक अपर्णा सेनगुप्ता ने कहा
निरसा विधायक अपर्णा सेन गुप्ता ने बताया कि उन्हें जैसे ही सूचना मिली उपायुक्त जामताड़ा ,उपायुक्त धनबाद को दूरभाष के माध्यम से इसकी सूचना दी। साथ ही कहा कि कल विधानसभा सत्र में सबसे पहले अधूरा पुल बनाने का मुद्दा रखूंगी।
12 वर्ष पहले डह गई थी पिलर
2006 में जब राज्य में मधु कोड़ा की सरकार थी तब निरसा प्रखंड अंतर्गत बरबिंदिया गांव में बराकर नदी पर धनबाद से जामताड़ा को जोड़ने के लिए राज्य के सबसे लंबे पुल की आधारशिला रखी गई थी इसकी प्रकालित राशि लगभग ₹38 करोड़ ₹ थी परंतु दुर्भाग्य है कि आधा पुल निर्माण हो जाने के बावजूद तेज पानी के बहाव के कारण जामताड़ा की ओर से बने पुल के कई खंभे पानी में बह गए थे।
12 वर्ष बीत जाने के बावजूद उक्त पुल का निर्माण कार्य आज तक शुरू नहीं हो पाया है। आज अगर पुल तैयार हो जाती तो आज ऐसे बड़ी दुर्घटना नहीं घटती। 38 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन पुल तेज बहाव के कारण बह गया था इसके कारण उस वक्त बरबिंदिया स्थित नदी काफी चर्चा में आई थी.
बेरोजगार युवकों ने बनाया था बांस का पुल
उसी समय उस गांव के कुछ बेरोजगार आदिवासी युवाओं ने एक नई सोच बैठाकर नदी में लकड़ी का पुल निर्माण करना शुरू कर दिया पुल का निर्माण में बांस की छल्ली लगाकर उस पुल का निर्माण किया गया ।
पुल बनने से मात्र 22 किलोमीटर में तय होगी निरसा से जामताड़ा
पुल के बन जाने से केवल 22 किलोमीटर का फासला तय कर लोग निरसा से जामताड़ा पहुंच जाएंगे।