झरिया: संतान के सुख के लिए कई महिलाएं जितिया व्रत करती हैं। इस व्रत की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जिसके नियम हर एक क्षेत्रों में अलग-अलग होता है। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में जितिया व्रत को शुरू करने से एक दिन पहले रागी की रोटी और मछली खाने की परंपरा है।
इसके अगले दिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं। इस व्रत को लेकर झरिया के बाजारों मे काफी रौनक देखी जा रही है। फल सब्जी, मछली व जितिया धागा (लॉकेट) के दुकानों मे ग्राहकों की भीड़ से विक्रेताओं के चेहरों पर रंगत दिखाई दे रही है।
अन्य दिनों के मुकाबले मंगलवार को फल-सब्जियां व मछलियों के दामों मे थोड़ा इजाफा हुआ है इसके बावजूद बाजारों मे ग्राहकों की कमी नहीं है। वैसे तो मांसाहार का सेवन पूजा-पाठ में वर्जित माना गया है। मगर इस व्रत की शुरुआत बिहार , झारखंड व यूपी में कई स्थानों पर मछली खाकर की जाती है। इसके पीछे कुछ पौराणिक मान्यताएं बताई गईं हैं।
इस परंपरा के पीछे जितिया व्रत की कथा में वर्णित चील और सियार की कथा का होना माना जाता है।इस व्रत को शुरू करने से पहले अलग-अलग क्षेत्रों में खान-पान अपनी क्षेत्रीय परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि इन चीजों के सेवन से व्रत शुभ और सफल होता है। इस व्रत को सफलतापूर्वक पूर्ण करने के बाद महिलाएं जितिया का लाल रंग का पवित्र धागा गले में पहनती हैं। व्रती महिलाएं इस व्रत में जितिया का लॉकेट भी धारण करती हैं।