सीएसआईआर-केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान, धनबाद में सप्ताह भर चलने वाले अखिल भारतीय विज्ञान महोत्सव ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यते’ कार्यक्रम का आज पांचवा दिन है। इस अवसर पर एक व्याख्यान समेत ‘भारत के जिनोमिक मिशन’ तथा ‘स्वतंत्रता संग्राम और वैज्ञानिक समुदाय’ पर आधारित दो (02) वृत्तचित्र भी प्रस्तुत किए गए। आज के आमंत्रित वक्ता के रूप में प्रोफेसर एस. के. शर्मा, आईआईटी, बीएचयू, वाराणसी, उत्तरप्रदेश उपस्थित थे। सिम्फर सदस्यों के अलावा धनबाद स्थित विभिन्न कार्यालयों के प्रतिनिधि और स्कूल-कॉलेजों के लगभग 360 विद्यार्थी एवं शिक्षकगण भी इस कार्यक्रम में उपस्थित हुए।
सम्मेलन कक्ष में उपस्थित सभी का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के आयोजन सचिव व मुख्य वैज्ञानिक डॉ. जे. के. पाण्डेय ने पांचवे दिन के कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। आमंत्रित वक्ता को पुस्तक के साथ स्वागत किया गया।
इस अवसर पर डीएवी पब्लिक स्कूल, हजारीबाग के विद्यार्थियों द्वारा ‘स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव’ विषय पर एक लघु नाटिका प्रस्तुत की गई। इसके अलावा एक विज्ञान प्रश्नोत्तरी का भी आयोजन किया गया, जिसमें 13 स्कूलों के 26 छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। प्रश्नोत्तरी आयोजित करने में संस्थान के श्री जे. के. सिंह, मुख्य वैज्ञानिक, श्री दिलीप कुम्भकार, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, श्री गुगुलोथ सुरेश, तकनीकी अधिकारी एवं श्री गौतम, परियोजना सहायक की अहम भूमिका रही। इस प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में धनबाद के दिल्ली पब्लिक स्कूल, धनबाद; सेंट ज़ेवियर्स इंटरनैशनल स्कूल, नवाडीह एवं द्वारका मेमोरियल स्कूल, बिश्नुपुर को क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त हुआ।
आमंत्रित वक्ता प्रोफेसर एस. के शर्मा के व्याख्यान का विषय ‘साहित्य में विज्ञान’ था। उन्होंने बताया कि कृषि क्षेत्र में आधुनिक नवीन तकनीकों की कमी होने के कारण प्रतिकूल परिस्थितियों और कीटों के हमलों की वजह से फसलों को काफी नुकसान हुआ है। डैमस्कस स्टील ब्लेड बनाने के लिए वूट्ज़ स्टील का इस्तेमाल किया गया था और दुनिया ने इस ज्ञान को भारत से प्राप्त किया। समुद्री विज्ञान, कार्टोग्राफिक उत्कृष्टता ने नाविकों को सुरक्षित रूप से अपने गंतव्य तक पहुंचाने में और साथ ही व्यापार को भी काफी हद तक प्रभावित करने में मददगार साबित हुई। विद्वानों, वैज्ञानिकों और ऋषि-मुनियों ने भारतीय दर्शन, विज्ञान व धर्म से प्राप्त ज्ञान को पोषित किया, जिसकी सहायता से आधुनिक तकनीकों का विकास हुआ और हमारे जीने के तरीके में बदलाव आया।
प्रोफेसर शर्मा ने आगे बताया कि भारतीय उपलब्धियाँ केवल कृषि या पश्चिमी विज्ञान के प्रभुत्व के कारण ही नहीं हैं। उन्होंने पारंपरिक भारतीय साहित्य, बीजगणित आदि के कई सारे उदाहरणों के साथ अपनी इस बात की पुष्टि की। प्रोफेसर के द्वारा दिए गए सभी उदाहरण भारत की गौरवशाली विरासत को चित्रित करते हैं।
विज्ञान सर्वत्र पूज्यते कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्थान के डॉ. सुजीत कुमार मंडल, डॉ. (श्रीमती) बबली प्रसाद, डॉ. सिद्धार्थ सिंह, सुश्री पल्लवी दास, डॉ. आरती साहू, श्री अमित जायसवाल, सुश्री साहाना चौधुरी, श्रीमती अनिमा कुमारी महतो, सुश्री अयंतिका दे व सुश्री स्नेहा विश्वकर्मा सहित कई सदस्यों की सक्रिय प्रतिभागिता रही।
संस्थान द्वारा आमंत्रित वक्ताओं को सम्मानित किया गया। संस्थान के वैज्ञानिक, डॉ. रंजीत कुमार पासवान एवं श्री निलाबजेन्दु घोष, वैज्ञानिक ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का मंच संचालन किया। रंजीत कुमार पासवान द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया। सिम्फर सदस्यों के अलावा आमंत्रित वक्ता सहित स्कूली छात्र-छात्राओं ने विज्ञान प्रदर्शनी का आनंद उठाया।