उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक 30 वर्षीय व्यक्ति जब अपने बेटे का इलाज नहीं करा पाया तो उसने बच्चे की गला दबाकर हत्या कर दी। हालांकि, शख्स ने खुद पहले बच्चे के गुमशुदा होने की शिकायत दर्ज कराई थी लेकिन बाद में उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
दरअसल, ऊधम सिंह नगर जिले में रहने वाले मोहम्मद तारिक का साढ़े तीन साल का एक बेटा था, जो कि हीमोफीलिया की बीमारी से पीड़ित था। मामले में बीते मंगलवार को खुद मोहम्मद तारिक ने पुलबट्टा पुलिस स्टेशन में बेटे के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसके बाद जांच में तारिक के बेटे की लाश बरेली में एक नहर से सटी झाड़ियों में मिला था।
पुलिस ने पूरे मामले में जांच के दौरान पाया कि इलाके के सीसीटीवी फुटेज तारिक को ही संदेह के घेरे में ला रहे थे। हालांकि जब मामले में पूछताछ की गई तो तारिक ने स्वयं अपना अपराध स्वीकार कर लिया। जिसके बाद तारिक को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया।
मामले में जानकारी देते हुए ऊधम सिंह नगर शहर की एसपी ममता वोहरा ने कहा कि, मोहम्मद तारिक ट्रक मालिक था और उसे स्वयं ही चलाता था। बीते कुछ समय से काम न मिलने के कारण वह ट्रक की ईएमआई (EMI) नहीं दे पा रहा था। इसके अलावा उसके सामने बेटे के इलाज में होने वाले खर्च की चिंता थी, जिससे वह आर्थिक रूप से काफी कमजोर हो गया था।
एसपी सिटी वोहरा ने बताया कि, मंगलवार देर रात मोहम्मद तारिक ने खुद पुलबट्टा पुलिस स्टेशन में बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। साथ ही बताया था कि उसका बेटा घर के बाहर से लापता हो गया था। हमने मामले में रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी लेकिन आरोपी पिता बार-बार बयान बदल रहा था। जब जांच-पड़ताल की गई तो उसकी पत्नी ने बताया कि बेटा आखिरी बार तारिक के साथ ही देखा गया था।
एसपी सिटी के मुताबिक, मामले में जांच जारी थी कि तभी पड़ोसी जिले बरेली के बहेड़ी क्षेत्र में कुछ लोगों को एक लावारिस लाश मिली थी, जिसकी शिनाख्त बाद में तारिक के बेटे शाबान के रूप में हुई थी। वोहरा ने आगे बताया कि जब सीसीटीवी फुटेज का हवाला देकर हमने तारिक से पूछा तो उसने जुर्म कबूल कर लिया।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, तारिक ने अपने बेटे के कत्ल के बाद उसके शव को नहर में फेंकने की कोशिश की थी, लेकिन लाश झाड़ियों में फंस गई थी। तारिक ने कथित तौर पर पुलिस को बताया कि उसने अपने बेटे के इलाज के लिए किसी सरकारी योजना का लाभ उठाने का प्रयास नहीं किया। ऐसे में जब वह बीते सोमवार को अपने बेटे शाबान को इलाज के लिए हल्द्वानी ले गया तो डॉक्टरों ने कथित तौर पर उसे बच्चे को दिल्ली में भर्ती कराने के लिए कहा था।