करगिल युद्ध के खलनायक मुशर्रफ का निधन

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दिल्ली में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे मुशर्रफ 1947 में विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए थे। मुशर्रफ पाकिस्तान में अपने खिलाफ आपराधिक आरोपों से बचने के लिए संयुक्त अरब अमीरात में खुद निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे थे। उनका दुबई में अमेरिकी अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उन्हें कराची में दफनाया जाएगा। मुशर्रफ के परिवार के मुताबिक, वे दुर्लभ बीमारी ‘एमिलायडोसिस’ से पीड़ित थे, जिसमें पूरे शरीर के अंगों और ऊतकों में एमिलायड नामक एक असामान्य प्रोटीन बनता है। मुशर्रफ की बीमारी 2018 में सामने आई थी।
मुशर्रफ ने ही करगिल युद्ध की साजिश रची थी, जो महीनों तक चला था। इस युद्ध से कुछ महीने पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत के अपने समकक्ष अटल बिहारी वाजपेयी के साथ लाहौर में ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। करगिल में मिली नाकामी के बाद मुशर्रफ ने 1999 में तख्तापलट कर तत्कालीन प्रधानमंत्री शरीफ को अपदस्थ कर दिया था और 1999 से 2008 तक विभिन्न पदों पर रहते हुए पाकिस्तान पर शासन किया था। जनरल मुशर्रफ उस वक्त पाकिस्तान के ‘मुख्य कार्यकारी’ थे, जब अमेरिका पर 9/11 हमला हुआ था और उन्होंने पड़ोसी अफगानिस्तान में सैन्य हस्तक्षेप के दौरान वाशिंगटन का साथ दिया था।
मुशर्रफ के निधन के तुरंत बाद पाकिस्तानी सेना की मीडिया इकाई ‘इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस’ (आइएसपीआर) ने एक बयान जारी कर कहा कि ज्वाइंट चीफ्स आफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष जनरल साहिर शमशाद और सभी सेवाओं के प्रमुखों ने गहरी संवेदना व्यक्त की है। समाचार चैनल ‘जियो न्यूज’ बाकी की खबर के अनुसार, मुशर्रफ के पार्थिव शरीर को दफनाने के लिए पाकिस्तान में दफनाने की अनुमति दे दी गई है।
नवाज शरीफ के छोटे भाई एवं प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मुशर्रफ के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में उन्होंने कहा, ‘खुदा उनके गुनाहों को माफ अता फरमाए और परिवार को संयम दें।’ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता और पूर्व सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने मुशर्रफ को ‘महान व्यक्ति’ बताया।
सात साल से अधिक वक्त तक सत्तासीन रहने वाले मुशर्रफ ने हत्या के तीन प्रयासों से बचते हुए देश की आर्थिक वृद्धि की कमान संभाली। उन्होंने 2002 के जनमत संग्रह में राष्ट्रपति के तौर पर पांच साल का कार्यकाल हासिल किया लेकिन 2007 तक सेना प्रमुख का पद छोड़ने का वादा पूरा नहीं किया। मुशर्रफ की 2013 में सत्ता में लौटने की योजना पर उस समय पानी फिर गया था, जब उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दे दिया गया था। मार्च 2014 में मुशर्रफ को तीन नवंबर 2007 को संविधान निलंबित करने का दोषी ठहराया गया था। दिसंबर 2019 में एक विशेष अदालत ने मुशर्रफ को राजद्रोह के मामले में मृत्यदंड सुनाया था।
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