चीन में कोरोना (corona) से हालात बेकाबू हो चुके हैं। अस्पताल में बेड नहीं हैं। वेंटिलेटर और चिकित्सा उपकरणों की कमी हो गई है। मृतकों को श्मशान में जगह नसीब नहीं हो पा रही है। वहीं दूसरी तरफ सरकार की सख्ती के चलते शुक्रवार (23 दिसंबर, 2022) को लोग सड़कों पर उतर आए। ग्वांगझू में लोगों ने चीनी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और जिनपिंग के कुर्सी छोड़ो के नारे लगाए। चीन में कोरोना रिपोर्ट निगेटिव होने तक लोगों को हिरासत में रखा गया है।
कोरोना (corona) के लगातार बढ़ते हुए केसों के चलते चीन में चिकित्सा सोर्स की कमी सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। हालात यह हैं कि चीन में न केवल हॉस्पिटल में बेड, वेंटिलेटर्स और दवाइयों की कमी है, बल्कि डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की भी काफी कमी है। चीनी मीडिया रिपोर्ट्स में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
पेकिंग यूनिवर्सिटी फर्स्ट हॉस्पिटल के श्वसन विशेषज्ञ वांग गुआंगफा ने कहा कि चीन की राजधानी बीजिंग में अगले कुछ दिनों में कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं। वांग ने कहा कोरोना संक्रमण की नई लहर से घिरा बीजिंग चिकित्सा संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव डाल रहा है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना कि चिकित्सा संसाधनों की कोई कमी नहीं है, कोविड-19 मामलों के इलाज में सफलता दर बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कारक है। उन्होंने कहा कि हमें अस्पतालों में वायरस से निपटने की पूरी तैयारी करनी चाहिए। हालांकि चीन ने ये दावा किया है कि पूरे देश में 22 दिसंबर को 4 हजार से भी कम कोविड के केस सामने आए हैं।
वहीं दावा यह भी किया गया है कि चीन में तीन ऐसे प्रांत हैं जहां दो करोड़ से ज्यादा लोगों को कोरोना ने अपनी चपेट में ले लिया है। यह प्रांत हैं हेनान, हुबेई और सिचुआन। साथ ही छह ऐसे भी प्रांत हैं, जहां कोविड का संक्रमण एक से दो करोड़ के बीच है।
अपने परिजनों के अंतिम संस्कार के लिए कतार में लगे लोग
चीन में फ्यूनरल होम से जो तस्वीरे सामने आ रही हैं। वो चीन की भयानक स्थिति को बयां कर रही हैं। हर ओर ताबूत ही ताबूत नजर आ रहे हैं, जिनको अंतिम संस्कार के लिए कतार में रखा गया है। कई जगह तो स्थिति ऐसी है जहां मरीजों के बैठने के लिए जगह नहीं है। इन सब हालातों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि चीन में क्या स्थिति है।
चीन में कोविड के भयावाह आंकड़ों के बीच डब्ल्यूएचओ प्रमुख (WHO Chief) घेब्रेयसस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस (Press Confrence) में बताया था कि कोविड-19 (COVID-19) के बाद की स्थिति की हमारी समझ से बाहर है। हम इस बात को समझ नहीं पा रहे हैं कि संक्रमण के लॉन्गटर्म परिणामों से पीड़ित लोगों का इलाज कैसे किया जाए।