Ranchi awaz live
एक कविता आपके लिए :-
कहते हम भारत को माँ
मातृभूमि की हिन्दी भाषा
जोड़ती एकता सूत्र में
रचती खुद की परिभाषा
मातृभाषा होकर भी फिर क्यों
न उचित हिन्दी को स्थान मिला
जैसे स्त्री देवी तुल्य रही सदा
पर नाम का सम्मान मिला
अंग्रेज़ी ऐसे छाई सब पर
जैसे अंग्रेज़ी हो भाषा पति
हिन्द की हिन्दी पर्दे में रह गयी
साहित्य जगत की थी ये दुर्गति
संघर्ष भूले सब राष्ट्र भाषा की
सर पर चढ़ा आधुनिक फ़ितूर
एकता के रंग में अब दिखने लगा
अंग्रेज़ी और जी हुज़ूर
हिन्दी और स्त्री रही एक सी
महत्व नाम का और उपेक्षित सदा
कभी देश को, कभी धरती को
क्यों कहते “माँ” तुल्य सर्वदा
भारत की धरोहर है एकता
एकतासूत्र का हिन्दी बंधन
सर्वोच्च , सर्वोपरि क्यों न हो
मन से जोड़े हर मन
बंटे जिले प्रांत और राज्य भी
नहीं बंटा राष्ट्र का आधार
अंग्रेज़ी से आपत्ति नहीं
पर सहन नहीं हिन्दी तिरस्कार
आज हिन्द राष्ट्र की महानता का
गाथा फिर से लिख डालो
स्त्री,देश और अपनी भाषा की
प्रतिष्ठा गिरने से बचा लो
-: राखी विश्वकर्मा :-
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