भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के खिलाफ दल- बदल का मामला सुनवाई पूरी होने के बाद अब फैसले को लेकर दबाव बढ़ रहा है। झारखंड हाईकोर्ट ने इससे संबंधित एडवोकेट एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई की है। इस सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने विपक्षी दल के नेता पर 1 सप्ताह के अंदर फैसला देने का आदेश दिया है।
इस मामले को लेकर बाबूलाल मरांडी ने कहा, हेमंत सरकार नहीं चाहती, नेता प्रतिपक्ष की अनुशंसा से लोकायुक्त और सूचना आयुक्त का चयन हो। इस फैसले से राज्य सरकार की नाकामियां उजागर होने का खतरा है।भले ही राज्य सरकार तिकड़म से महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों को भरने से रोक दे, लेकिन देश में कार्य कर रही अन्य संवैधानिक एजेंसियों तो मामले की जांच कर ही रही है, सरकार का भ्रष्टाचार छिपेगा नहीं।
बाबूलाल मरांडी ने दल बदल मामले में कहा, स्पीकर मुख्यमंत्री के इशारे पर मामले को लटका रहे हैं। भाजपा ने अपने विधायक दल के नेता का चयन किया। विधानसभा सचिवालय को सूचना भी दी। जहां तक जेवीएम का भाजपा में विलय का सवाल है, चुनाव आयोग ने अपने निर्णय में सारी स्थित स्पष्ट कर दी है। चुनाव आयोगद ने दो बार उन्हें राज्यसभा चुनाव में भाजपा विधायक के रूप में मत देने का अधिकार दिया है, स्थिति से इसी से स्पष्ट हो सकती है।
सुनवाई पूरी होने के बाद भी लंबित है मामला
इस आदेश के बाद राज्य में राजनीतिक हलचल तेज हो गयी है। हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर इस पर तय समय अवधि के आधार पर फैसला नहीं आता तो झारखंड विधानसभा के सचिव को न्यायालय में हाजिर होना होगा। कोरोना संक्रमण काल के दौरान स्पीकर ने इस मामले की सुनवाई की थी। मरांडी के खिलाफ 10वीं अनुसूची के तहत दलबदल करने का आरोप दिसंबर 2020 में लगा था। साल 2019 में झारखंड विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद बाबूलाल मरांडी ने अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का विलय भाजपा में कर दिया था। इसके बाद उन्हें भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया।