माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश की एमपी-एमएलए कोर्ट ने हत्या की कोशिश की आपराधिक साजिश रचने से जुड़े एक मामले में बुधवार को बरी कर दिया है। बाहुबली से नेता बने पूर्वांचल के कुख्यात मुख्तार अंसारी पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 307 का मामला जनप्रतिनिधित्व कानून के 120 के तहत दर्ज किया गया था। मोहम्मदाबाद के मीर हसन ने साल 2009 में यह मामला दर्ज करवाया था। उसमें हत्या की कोशिश के आरोपी सोनू यादव को पहले ही बरी कर दिया गया था। हत्या की कोशिश की साजिश रचने के आरोप में मुख्तार अंसारी पर केस चल रहा था।
जेल में रहने के दौरान मुख्तार अंसारी को आरोपी बनाने का हवाला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुख्तार अंसारी के वकील लियाकत अली ने कहा, ‘मुख्तार अंसारी साल 2005 से ही गाज़ीपुर जेल में बंद थे। घटना 2009 की बताई जाती है। इस मामले में मुख्तार अंसारी को जेल में रहने के दौरान ही आरोपी बना दिया गया था। दूसरी ओर वह एफआईआर में नामजद आरोपी भी नहीं थे। इस मामले में गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद मुख्तार अंसारी को दोषमुक्त करार दिया है।’
मुख्तार अंसारी के जेल से बाहर आने की कोई गुंजाइश नहीं
जानकारी के मुताबिक इस मामले में कोर्ट ने 6 मई को ही दोनों पक्षों की दलीलों को सुन लिया था। कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद 17 मई को फैसले सुनाने की तारीख दी थी। इस मामले में आखिरकार कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को बरी कर दिया है। हालांकि, इस केस में बरी होने के बावजूद मुख्तार अंसारी के जेल से रिहा होने की कोई गुंजाइश नहीं है। मुख्तार अंसारी के खिलाफ एक और केस की सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट में पूरी हो गई है। इस मामले में फैसला सुनाने के लिए कोर्ट ने 20 मई की तारीख दी है।
मर्डर और किडनैप केस में 10 साल की सजा काट रहा है मुख्तार
इससे पहले मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर एक्ट, भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या और विश्व हिंदू परिषद के नेता के अपहरण से जुड़े एक मामले में दस साल की सजा सुनाई जा चुकी है। इस मामले में कोर्ट ने मुख्तार अंसरी पर पांच लाख का जुर्माना भी लगाया था। कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को भाई बसपा सांसद अफजाल अंसारी को भी सजा सुनाई थी। इसके चलते उसकी संसद सदस्यता भी जा चुकी है।