झारखंड में अब दल-बदल का नया कानून लागू कर दिया गया है। ‘झारखंड विधानसभा दल परिवर्तन पर सदस्यता से निरहर्ता के नियम 2006’ में संशोधन बिल पारित कर यह निर्णय लिया गया है। इसके तहत अब कोई भी नागरिक संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत स्पीकर के न्यायाधिकरण में दल-बदल की याचिका दायर कर सकता है। खास बात यह है कि इस कानून के लागू होते ही इस पर सियासत भी गर्मा गई है। विधानसभा में समिति की अनुशंसा के बाद सदन की सहमति मिलते ही राजनीति तेज हो गई है. इस संशोधन का सत्ता पक्ष जहां स्वागत कर रही है, वहीं मुख्य विपक्षी दल बीजेपी (BJP) को इस पर आपत्ति है।
नागरिकों को क्या होगा फायदा?
दल-बदल कानून लागू किए जाने के बाद इसका आम जनता को भी फायदा होगा। इस कानून के तहत अब राज्य का कोई भी व्यक्ति किसी विधायक के पाला बदलने पर विधानसभा अध्यक्ष (Assembly Speaker) के समक्ष (सामने) शिकायत दर्ज करा सकता है।
देश भर में दल-बदल के लिए बदनाम झारखंड में इसे रोकने को लेकर नया कानून बनाया गया है। माले के विधायक विनोद सिंह के मुताबिक, अब इस कानून के तहत राज्य का कोई भी व्यक्ति विधायक के दल-बदल करने की शिकायत विधानसभा अध्यक्ष से कर सकता है।
विधानसभा अध्यक्ष की ओर से स्वतः संज्ञान के अधिकार को विलोपित कर दिया गया है। दरअसल विधानसभा की तीन सदस्यों वाली कमिटी ने दल बदल को लेकर अपनी अनुशंसा की थी, जिसे कार्य संचालन नियमावली में संशोधन कर दिया गया।
लगातार सामने आ रहे दल-बदल के मामले
बता दें कि झारखंड गठन के बाद से दल-बदल को कई मामले सामने आ चुके हैं। यही वजह है कि प्रदेश दल-बलद को लेकर काफी बदनाम हो चुका था। यहां सरकार गठन में विधायकों को तोड़ने और जोड़ने का पुराना इतिहास रहा है।
मौजूद समय में विधानसभा अध्यक्ष के सामने दल बदल का मामला लंबित है। नए संशोधन के बाद कांग्रेस के विधायक इरफान अंसारी और जेएमएम विधायक मथुरा महतो का मानना है कि इससे सरकार बनाने को लेकर तिकड़मबाजी अब नहीं चलेगी।
विधायकों को रहेगी इस बात की चिंता
आम व्यक्ति के शिकायत का अधिकार मिलने के बाद ऐसा करने की सोच रखने वालों को अपनी सदस्यता जाने का खतरा सताता रहेगा।
गरमाई सियासत
दल बदल को लेकर इस संशोधन से मुख्य विपक्षी दल बीजेपी विधायक नाराज नजर आए। बीजेपी का गुस्सा आम व्यक्ति को शिकायत करने का हक मिलने को लेकर है। बीजेपी के विधायक अमर बाउरी का कहना है कि ऐसा करने से कोई भी किसी के खिलाफ शिकायत कर सकता है।
बीजेपी विधायक का कहना है कि एक जन प्रतिनिधि को अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने का अधिकार है। लेकिन इस कानून के बाद उसका ये अधिकार उससे छिन सकता है।
खास कर तब जब कोई दल जनता का एजेंडा छोड़ कर खुद का एजेंडा चलाने लगे। ऐसे दल की ओर से दल बदल की शिकायत होनी चाहिए।