बेअंत सिंह के हत्यारे राजोआना की माफी वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज, 11 साल से टल रही फांसी

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पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना को आज सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सर्वोच्च अदालत ने बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा को माफ करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। राजोआना के अलावा आतंकी जगतार सिंह हवारा को बेअंत सिंह की हत्या के मामले में 2007 में सजा-ए-मौत सुनाई गई थी। 31 मार्च 2012 को राजोआना को फांसी देने की बात भी तय कर दी गई थी। लेकिन उसके बाद से राजाओना की फांसी की सजा टल रही है। साथ ही कोर्ट यह सजा-ए-मौत को भी बदल नहीं रही है। सुप्रीम कोर्ट ने सजा बदलने वाली यायिका पर फैसला लेने का हक केंद्र सरकार को सौंप दिया है।

दया याचिका पर केंद्र ले फैसला

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र राजोआना की दया याचिका पर फैसला करने में विफल रहा है। कोर्ट ने केंद्र से दया याचिका पर विचार करने और फैसला लेने के लिए कहा है। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने कहा: सक्षम प्राधिकारी.. समय आने पर फिर से दया याचिका पर विचार कर सकते हैं और निर्णय ले सकते हैं। रिट याचिका का निपटारा उसी के अनुसार किया जाता है।

केंद्र के पास लंबे समय से लंबित है याचिका

2 मार्च को, सुप्रीम कोर्ट ने राजोआना की उस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें उसने मौत की सजा को इस आधार पर माफ करने की मांग की थी कि केंद्र काफी समय से उसकी दया याचिका पर फैसला करने नहीं कर रहा है। राजोआना को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया है।

मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की उठाई बात

न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने राजोआना का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। रोहतगी ने तर्क दिया था कि लंबे समय तक दया याचिका पर बैठे रहने के दौरान राजोआना को मौत की सजा पर रखने से उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है।

पिछले साल कोर्ट ने केंद्र को लगाई थी फटकार

पिछले साल सितंबर में, सुप्रीम कोर्ट ने राजोआना की ओर से दायर दया याचिका पर फैसला करने में देरी के लिए केंद्र को फटकार लगाई थी। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित ने कहा था कि वह मामले में स्थगन देने के केंद्र के वकील के अनुरोध पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। शीर्ष अदालत ने केंद्र के वकील से कहा था कि उसके मई 2022 के आदेश के चार महीने बीत चुके हैं, क्योंकि उसने राजोआना की दया याचिका पर निर्णय लेने में देरी पर सवाल उठाया था।

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