लोन वसूली के लिए बैंकों की तरफ से आम आदमी को परेशान करने की खबरें अक्सर सामने आती रहती हैं. अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इससे जुड़ी कई शिकायतें मिलने पर एक बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने बैंकों को ‘लिमिट’ में रहकर काम करने की चेतावनी दी है.
संसद के मानसून सत्र के दौरान जब एक सांसद ने लोन वसूली के लिए बैंकों के आम लोगों को परेशान करने और धमकाने जैसे हथकंडों की ओर ध्यान दिलाया, तब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने जवाब में कहा कि सरकार इस दिशा में लगातार काम कर रही है. सभी बैंकों को ‘लिमिट’ में रहकर काम करने के निर्देश दिए गए हैं.
क्या बोली निर्मला सीतारमण?
वित्त मंत्री ने कहा, ‘मुझे भी इस तरह की शिकायतें मिली हैं कि कैसे कुछ बैंक लोन वसूली के लिए लोगों के साथ निर्दयी व्यवहार करते हैं. सरकार की ओर से आरबीआई को साफ कह दिया गया है कि वह ऐसे बैंकों को दिशानिर्देश जारी करे. इसमें चाहें सरकारी बैंक हों या प्राइवेट कि लोन की वसूली के लिए उन्हें कठोर कदम नहीं उठाने चाहिए. जब भी लोन की वसूली के लिए आम आदमी को अप्रोच किया जाए, तो ह्यूमैनिटी और सेंसिटिविटी को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए.’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का ये बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आरबीआई के दिशानिर्देश होने के बावजूद कुछ बैंक लोगों से लोन वसूली के लिए जबरदस्ती करने वाले तरीके अपनाते हैं. इसमें धमकाना, घर के बाहर तमाशा करना इत्यादि शामिल है. जानें इस बारे में क्या कहते हैं आरबीआई के नियम
लोन वसूली को लेकर आरबीआई की गाइडलाइंस
भारतीय रिजर्व बैंक के गाइडलाइंस के मुताबिक बैंक के लोन रिकवरी एजेंट क्लाइंट को सुबह 8 से शाम 7 बजे के बीच ही कॉल कर सकते हैं. क्लांइट की बताई जगह पर ही लोन रिकवरी एजेंट मुलाकात कर सकते हैं. अगर ग्राहक पूछे, तो लोन रिकवरी एजेंट को बैंक की तरफ से दी गई आईडी दिखानी होगी.
बैंक को कस्टमर की प्राइवेसी को सबसे ऊपर रखना होगा. ग्राहक के साथ फिजिकली या मेंटली हरासमेंट नहीं की जानी चाहिए. अगर फिर भी किसी ग्राहक के साथ ऐसा होता है, तो ग्राहक इसकी शिकायत सीधे आरबीआई को कर सकता है.